Book Title: Tilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Pushpa Gupta
Publisher: Publication Scheme

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Page 229
________________ तिलकमंजरी में वर्णित सामाजिक व धार्मिक स्थिति 219 किया जाता था । षष्ठी देवी सोलह मातृकाओं में पूज्यतम मानी गयी है । यह कार्तिकेय की पत्नी तथा विष्णु की भक्त कही गयी है ।। कादम्बरी में रानी विलासवती के द्वारा पुत्रप्राप्ति के लिए मातृदेवियों की मानता मानने का उल्लेख है।' हर्षचरित में भी मातृकासंजक देवियों का उल्लेख किया गया है। जातमातृ देवी की आकृति सूतिकागृह में लिखी जाती थी।' कादम्बरी में भी सूतिका गृह के वर्णन में इसका उल्लेख आया है। हर्षचरित के टीकाकार शंकर ने इसे जातमातृदेवता मार्जारानना बहुपुत्रपरिवारा सूतिकागृहे स्थाप्यते कहा है। इसका अपरनाम चचिका देवी भी था। यह परमार नरेशों की कुलदेवी थी। परमार नरेश नरवर्मदेव के भिलसा-लेख में चचिका देवी की स्तुति की गयी है। आर्यवृद्धा देवी का पूजन किया जाता था । कादम्बरी में सूतिका-गृह के भीतर श्वेत पलंग के सिरहाने अक्षत चावल बिछाकर उनके ऊपर बीच में देवी आर्यवृद्धा की मूर्ति रखकर पूजा करने का उल्लेख मिलता है। डॉ. अग्रवाल के मत में आजकल लोक में प्रचलित बीहाई अथवा बीमाता ही प्राचीन आर्यवृद्धा थी ___ जन्म के छठे दिन रात्रि में जागरण किया जाता था।10 इसे षष्ठी जागर कहा जाता था। लोक में ऐसी मान्यता थी कि बीमाता बच्चे को देखने के लिए छठी पूजन की रात्रि को अवश्य आती है और उसके भाग्य का शुभाशुभ फल लिख जाती है, इसीलिए उस रात में जागरण किया जाता है। आज भी उत्तरप्रदेश में छठी पूजन किया जाता है । जन्म के दसवें दिन नामकरण संस्कार किया जाता था, जिसमें विप्रों को स्वर्ण तथा गायों का दान दिया जाता था। 1... तिलकमंजरी, पराग टीका, भाग 2, पृ. 185 2. अग्रवाल वासुदेवशरण, कादम्बरी एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 76 3. वही, हर्षचरितः एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 65 4. आलिखत जातमातृपटलम्, -तिलकमंजरी, पृ. 77 5 अग्रवाल वासुदेवशरण : कादम्बरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 83 6. वही, पृ. 83.. 7. भंडारकर लेख सूचि, 1658, उद्धृत : वासुदेवशरण अग्रवाल, हर्षचरितः एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 66 8. प्रारमध्वमार्यवृद्धासपर्याम्, ___-तिलकमंजरी, पृ. 77 9. अग्रवाल वासुदेवशरण, कादम्बरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 86 10. अतिक्रान्ते च षष्ठीजागरे, -तिलकमंजरी, पृ. 78 11. समागते च दशमेऽहि....हरिवाहन इति शिशो म चक्रे । वही, पृ. 78

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