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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
काल में व्यापारी जब अपने घर जाते तो सभी वस्तुओं को समेटकर द्वार पर कालायस का ताला लगा देते थे । समरकेतु के सैनिक पड़ाव की विपणिवीथियों में पण्य वस्तुओं के समेट लिए जाने पर भी ग्राहक पैसे लेकर व्यर्थ ही घूम रहे थे ।" युद्ध शिविरों में भी बाजार लगाये जाने का उल्लेख किया गया है।
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द्वीपान्तरों से व्यापार - द्वीपान्तर पूर्वी द्वीप समूह के लिए प्रयुक्त होता था । द्वीपान्तरों के राजाओं के प्रधान पुरुष मेघवाहन के लिए उपहार लेकर आये थे। 4 समरकेतु के प्रसंग में द्वीपान्तरों से व्यापार करने का उल्लेख आया है । द्वीपान्तरों से व्यापार समुद्र के मार्ग से किया जाता था । समुद्र के मार्ग से व्यापार करने वाला व्यापारी सांयात्रिक वणिग् कहलाता था । सुवर्णद्वीप के मणिपुर नगर के वासी वैश्रवण नामक सांयात्रिक का उल्लेख किया गया है। उसका पुत्र तारक सुवर्णद्वीप से अन्य सांयात्रिकों के साथ नाव पर विपुल सामग्री लादकर द्वीपान्तरों से व्यापार करता हुआ सिंहलद्वीप की रंगशाला नगरी में माया था रंगशाला नगरी के धनाड्य व्यापारी भी द्वीपान्तरगामी बड़े-बडे माण्डों को लादकर व्यापार के लिए सार्थ बनाकर निकलते थे । ऐसी व्यापारिक यात्राओं में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था किन्तु ये उसके अभ्यस्त हो जाते थे । तारक ने नौसन्तरण में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया था ।" सोयात्रिकों के प्राकृतिक विपदा के कारण कभी-कभी जहाज भी टूट जाते थे । प्रियदर्शना ऐसे ही एक व्यापारी की पुत्री थी, जिसका जहाज टूट जाने पर कंवर्तों ने उसे बचा लिया
1 निग्र होन्मुखा पणिकसंवृत्तपण्यासु विपणिवीथीषु प्रत्यापणद्वारमघटन्त कालायस - तालकानि, - वही, पृ. 67 वही, पृ. 124
2. संहृतपण्यवीथी वृथाभ्रमद्गृहीतमूल्य क्रयिकलोके,
3. वही, पृ. 84, 124
4. उपनीत विविधोपायनकलापं
द्वीपान्तरायातमवनीपतीनांप्रधानप्रणधिलोकम्
— वही,
71
पृ.
5. अधिरुह्य यौवनं यानपात्रं च गृहीतप्रचुरसारमाण्डैर्भूरिशः कृतद्वीपान्तरयात्रः सहकारिभिरवेकं : सांयात्रिकैरनुगभ्यमानः.......
- वही, पृ.
6. ( क ) श्रगृहीतद्वीपान्तरगामिभूरिमाण्ड :.......
साथै: स्थानस्थानेषु कृता
वही, पृ. 117
वस्थानाम्,
(ख) सर्वद्वीपसांया त्रिकाणाममार्गो मार्गः . 7. वही, पृ. 129 130
-वही, , पृ. 156