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- तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
प्रशुभ घटना का पूर्वाभास मनुष्य को कुछ विशिष्ट संकेतों द्वारा करा देती है , जिसे शुभ शकुन कहते हैं। कुछ विशिष्ट संकेत शुभ-सूचक माने जाते हैं तथा अन्य अशुभ-सूचक ।
शुभ-शकुन-तिलकमंजरी में विभिन्न स्थलों पर निम्नलिखित शुभ शकुन माने गये हैं
1. पुरुष की दायीं आंख तथा अधरपुट का स्पन्दन । 2. पुरुष की दायीं भुजा का फड़कना 3. वायु का दक्षिण की ओर से बहना 4. वाम नासिका का श्वास बोलना । 5. शुगाल का दायीं ओर से बायीं ओर जाना ।।
अपशकुन-(1) पुरुष की बायीं प्रांख फड़कना अशुभ सूचक माना जाता था। तिलक मंजरी का पत्र मिलने पर हरिवाहन की बायीं आंख फड़कने लगी।
(2) स्त्री के लिए दक्षिणाक्षि स्पन्दन अपशकुन माना गया था।'
(3) मृग का वाम भाग से निकलना प्रयाण के लिए अशुभ माना जाता था। अन्य मान्यताएं
तिलकमंजरी कालीन समाज में लोग पुनर्जनम में विश्वास रखते थे। पूर्वजन्मों में कृत कर्मों के कर्मोदय की अपेक्षा से रहित कारण फल उत्पत्ति में असमर्थ
1 (क) स्पन्दिताधरपुटमचिरभाविनमानन्दमिव मे निवेदयामास दक्षिणं चक्षुः ।
. -तिलकमंजरी, पृ. 144 (ख) प्रतिक्षणं च स्फुरता दक्षिणेन चक्षुषा....- . वही, पृ. 210 2. (क) स्पन्दमानेन तत्क्षणं दक्षिणेन भुजदण्डेन व्यंजितारब्धकार्यसिद्धिः...
-वही, पृ. 198 (ख) प्रतिक्षणं च स्फुरता दक्षिणेन चक्षुषा भुजशिखरेण.... -वही, पृ. 210 3. पृष्ठतो दक्षिणपवनेन....
-वही, पृ. 198 4. पुरतो वा वामनासिकापुटश्वसनेन....
--वही, पृ. 198 5. प्रतिपन्नदक्षिणवाममार्गागमः परं शिवं शंसमिरमिप्रेतसाधक: शैवैरिव पदे पदे प्रधानशकुनरिव........
--वही, पृ. 198-99 6. अहं तु तत्क्षणोपजातवामाक्षिस्पन्दनेन.... -तिलकमंजरी, पृ. 396 7. मुहर्मुहुः कम्पते दक्षिणाक्षिः । _ --वही, पृ. 413 8. वामचारिण्यत्र मार्गमृग इवाध्वगानधिगच्छन्ति वांछितानि । --वही, पृ. 112