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तिलकमंजरी में वर्णित सामाजिक व धार्मिक स्थिति
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(2) साया-93
(3) पत्री-246 • (4) इषु-5, 88
(5) हेतिः-16, 65, 88 (6) धनुः-6, 90, 210 (7) मार्गण-12, 90, 104, 113 (8) चाप-13, 227 (9) कामुक-17, 88, 90, 92 (10) शर-17, 86, 136, 212 (11) शिलीमुख-89, 93, 303 (12) विशिख -94 (13) कोदन्ड-236 (14) कादम्ब-89.... .. (15) नाराच-83,87 गुण-बाण की डोरी 6, 88 ज्या-बाण की डोरी 6, 87 मोर्वी-बाण की डोरी 90 सन्धान-बाण को धनुष की डोरी पर चढ़ाना 4 तूणीर, तूणी-बाण का आधार पत्र 37, 90, 116, 200 धानुष्क, धनुष्मान्, धन्दी-धर्नधारी सैनिक 87, 88, 90 उद्गूर्णहेतिः-बाण छोड़ने के लिए उद्यत सैनिक 88 आकर्णान्ताकृष्टमुक्ताः-कर्ण पर्यन्त खींचकर बाण छोड़ना 89 शख्य-धनुष का लक्ष्य 92 चापयष्टि-धनुर्दण्ड 93
बाणों के समूह की बौछार का उल्लेख किया गया है। बाणों को शिलापट्ट पर घिसकर तीक्ष्ण किया जाता था।
(1) वज्र-14, 122, 298, 348
1. अविरल निरस्तशरनिकरशीकरासारडामरम्...........तिलकमंजरी, पृ. 86 2. निशानमणिशिलाफलकमिव कुसुमास्रपत्रिणाम. वही, पृ. 246