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तिलकमंजरी में वर्णित सामाजिक व धार्मिक स्थिति
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(3) राक्षस कन्या का बलपूर्वक मथवा उसकी स्वीकृति से हरण कर विवाह करना राक्षस विवाह था । बन्धुसुन्दरी समरकेतु से मलयसुन्दरी का अपहरण कर विवाह करने को कहती है किन्तु यह विधि अत्यन्त गहित व लज्जाजनक मानी जाती थी।
(4) स्वयंवर–स्वयंवर विधि से विवाह करने का अनेक बार उल्लेख है । राज-परिवारों में स्वयंवर विधि से विवाह करने का आम-रिवाज था अतः राजकन्या के लिए स्वयंवर विधि से विवाह करना अनुचित नहीं माना गया है। तारक मलयसुन्दरी से समरकेतु के साथ विवाह के लिए स्वयंविधि का अनुसरण करने के लिए कहता है । समरकेतु को मलयसुन्दरी का 'स्वयंवृतवर' कहा है । स्वयंवर समारोह का उल्लेख किया गया है, जिसमें रूपवती राजकन्या के अद्वितीय रूप से आकृष्ट अनेक राजा उपस्थिति हुए थे। स्वयंवर में कन्या गले में वरमाला डालकर, अपने अभिलषित पुरुष का वरण कर लेती थी हरिवाहन तिलकमंजरी का चित्र देखकर कहता है कि न जानें इसकी स्वयंवर-माला किस के गले का आभूषण बनेगी।
अन्तरजातीय विवाह का भी उल्लेख है । तारक नामक वैश्यपुत्र ने शूद्र-पुत्री प्रिय दर्शना से विवाह किया था 18
- विवाह से पहले लग्न स्थापित किया जाता था । विवाह मण्डप का उल्लेख किया गया है । 0 मलयसुन्दरी तथा समरकेतु के विवाहोत्सव का सुन्दर वर्णन किया गया है ।
1. किं च हत्वा गत इमामवनिर्दोषगीतचरितस्य तस्यापि पितुरात्मीयस्य दशयिष्यामि कथमात्मानम् ।
-वही, पृ. 326 2. वही, पृ. 285, 288, 175, 142, 310 3. अविरूद्धो हि राजकन्याजनस्य स्वयंवरविधिः, -तिलकमंजरी, पृ. 288 4. आश्रय स्वयवररयथम्................ .
-वही, पृ. 285 5. स्वयंवृतो वरस्त्वदीयायाः स्वसुर्मलयसुन्दर्या ....... ....... -वही, पृ. 231 6. प्रकृष्टरूपाकृष्टसकलराजकस्य कन्यारत्नस्य स्वयंवरप्रकमेण ... वही, पृ. 142 7. कस्य संचिताकुण्ठतपसः कन्ठकान्डे करिष्य.... स्वयंवरस्रक । वही, पृ 175 8. स्वजातिनिरपेक्षस्तत्रवक्षणे
वही, पृ. 129 9. स्यापितम् लग्नम्,
वही, पृ. 422 10. विवाहमण्डपमिव दृश्यमानामिनवशालाजिरसंस्कारम्, ___वही, पृ. 371 11. वही, पृ. 422-23-25-26