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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
जल्प-गोष्ठी आती है | पद- गोष्ठी में अक्षरच्युतक, मात्राच्युतक, बिन्दुमती, गूढचतुर्थपाद आदि अनेक प्रकार की पहेलियां बुझाई जाती थी । काव्य गोष्ठी में काव्य-प्रबन्धों की रचना की जाती थी। जल्प-गोष्ठी में आख्यान, आख्यायिका, इतिहास पुराणादि सुने सुनाये जाते हैं । 1 मेघवाहन द्वारा अपने परममित्रों के साथ नर्माला रहस्य- गोष्ठी किये जाने का उल्लेख है । 2 यह एकान्त में आयोजित मित्रमण्डली की उत्कृष्ट हास्य से पूर्ण मनोरंजक गोष्टी होती थी ।
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काव्य के अतिरिक्त कथाओं से भी राजकीय जन अपना मनोरंजन करते थे। 3 प्रायः भोजन के पश्चात् राजा मनोरंजक कथाएँ सुनते हुए विश्राम किया करते थे । ये कथाएँ रामायण, महाभारत, पुराण, बृहत्कया तथा प्रसिद्ध महाकाव्यों से ली जाती थी । प्रायः अन्तपुर तथा वासभवनों में कथाएं कहने में निपुण स्त्री-पुरुष हुआ करते थे, जिन्हें 'कथक जन' अथवा 'कथकनारीयां' कहते
1 व्यक्ति समस्त भाषाओं के ज्ञाता तथा कलाओं में निपुण एवं पौराणिक आख्यानको को कहने में अत्यन्त चतुर होते थे । 5 समरकेतु ने मलयसुन्दरी को प्राप्त करने की आशा से अपने वृतान्त को कथाबद्ध कर प्राचीन कथाओं के ब्याज से कथकनारियों के माध्यम से सभी सामन्तों के अन्तःपुरों में पहुँचाया है । " कुलपति के आश्रम में वृद्ध तपस्विनी स्त्रियां पौराणिक कथाएं कहकर मलयसुन्दरी का मनोरंजन करती थी। 7
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अग्रवाल वासुदेव शरणः हर्षचरितः एक सांस्कृतिक अध्ययन, प्रवर्तय यदृच्छा सुहृज्जनेन सार्धमग्राम्यनर्मालापरहस्य गोष्ठी :
To 13 तिलकमंजरी, पृ० 61 तिलकमंजरी, पृ० 10, 75, 163, 169, 172, 237, 322, 331, 394,
वही, पृ० 174, 237, 394
(क) अग्रतः प्रपंचतविचित्रा ख्यानकेन श्रव्यवचसा कथकनारीजनेन .... -वही पृ० 75 (ख) सर्वकलाशास्त्रकुशलेन सर्वदेशभाषाविदा सर्वपौराणिका ख्यानकप्रवीणेन स्त्रीजनेन चित्रामिः कथामिविनोधमाना दिनान्यतिवाहयति ।
वही, पृ० 169
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वही, पृ० 322
7 यथावसरममिनवामिनवानि पौराणिकास्थानकानि कथयता स्थविरतापसी
. समूहेन .....
वही, पृ० 331