Book Title: Tilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Pushpa Gupta
Publisher: Publication Scheme

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Page 219
________________ तिलकमंजरी में वर्णित सामाजिक व धार्मिक स्थिति (9) गोप या गोपाल - गोप अथवा गोपाल ग्वाले के लिए आया है । इसकी स्त्री को गोपाललना कहा गया है । गोपाललनाएं शरीरधारिणी साक्षात् गीरसश्री के समान जान पड़ती थी । गोप के लिए बल्लव शब्द भी प्रयुक्त हुआ है । 3 समरकेतु की विजय यात्रा के प्रसंग में गोशालाओं का सुन्दर चित्रण किया गया है 14 (10) सूपकार - पाक-शास्त्र में कुशल रसोइये को था । रसोइये को आरालिक तथा पौरोगव भी कहा गया है । (11) बालुवादिक - पारे से सोना बनाने को धातुवाद कहा जाता था तथा इस विद्या के ज्ञाता को धातुवादिक कहते थे । 7 हर्षचरित में बाण के धातुवादविद् विहगंम नामक मित्र का उल्लेख किया गया है । बाण ने अनाड़ी धातुवादियों का वर्णन भी किया है, जिन्हें उसने कुवादिक कहा है । " (12) चित्रकृत् — चित्रकृत् तथा चित्रकर, चित्रकार को कहते थे 10 (13) कंबक - पेशेवर कथा सुनाने वाले व्यक्ति को कथक कहते थे । 11 हर्षचरित में बाण के मित्रों में कथक जयसेन का उल्लेख आया है । 18 (14) कुशीलव - नाटक में कार्य करने वाले बन्दीगणों को कुशीलव कहा जाता था 113 1. तिलकमंजरी, पृ. 117, 118 2. गोरसश्रीमिरिव शरीरिणीमिः.... गोपाललनाभिः सर्वतः समाकुलंगकुलः, वही, पृ. 118 3. वही, पृ. 118 4. 209 सूपकार कहा जाता वही, पृ. 117-18 वही, पृ. 373 5. 6. वही, पृ. 69 7. (क) रससिद्धिवेदश्च धातुवादिकस्य ........ - वही, पृ. 22 (ख) वही. पृ. 235 8. अग्रवाल, वासुदेवशरण, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ 30 9. अग्रवाल, वासुदेवशररण; कादम्बरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 236 10. तिलकमंजरी, पृ. 179, 322 11. वही, पृ. 322 12. अग्रवाल, वासुदेवशरण : हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 29 13. विस्तारितरगे: कुशीलवंरिव नदीपूरैर्नर्त्यमानम्... - तिलकमंजरी. पृ. 122

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