Book Title: Tilakmanjari Ek Sanskritik Adhyayan
Author(s): Pushpa Gupta
Publisher: Publication Scheme

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Page 210
________________ तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन ( 17 ) शब्प -- कोमल ग्रास । मलयसुन्दरी द्वारा कुलपति के आश्रम में शप कवलों से बालहरिणों का वर्धन किया था 331 । 200 ( 18 ) शाद्वल 179 तृण विशेष ( 19 ) शालि.... धान्य विशेष 182, 305, 1 गोपिकाओं द्वारा शालि धान के खेत से हाथ की तालियाँ बजा-बजा कर सुग्गों को भगाये जाने का वर्णन प्राप्त होता है उत्तालशालिवनगोपिकाकरतलता लतर लितपलायमानकीरकुल 182 वसन्तोत्सव पर काम देव के मन्दिर में सजावट के लिए स्थान-स्थान पर शालि चावल के स्तूप बनाये गये थे-- 305 1 ( 20 ) शैवल - तृण विशेष 233, 107, 121, 158, 37, 203, 254 311, 368 जम्बाल 228 । ( 21 ) हरिताल विशेष प्रकार की औषधि, जिसका वर्ण पीला होता है 152, 234, 247, ( 22 ) विशल्या 136 औषधि विशेष । सान-पान सम्बन्धी सामग्री तिलकमंजरी में धान्य, तैयार की गई खाद्य सामग्री, गोरस तथा अन्य द्रव्य एवं पेय शाक तथा फलादि सम्बन्धी निम्नलिखित जानकारी प्राप्त होती है। पाक - विज्ञान में कुशल व्यक्ति सूपकार कहलाता था । राजा के ग्राहारमण्डप का अध्यक्ष पौरोगव तथा अन्य रसोइये आरालिक कहलाते थे । 1 बिना पकायो गयो खाद्य सामग्री (1) यवस 82, 119, बुस 119 जो ( 2 ) व्रीहि 119 (3) नीवार - 236 जंगली धान्य (4) तिल - 67 ( 5 ) तण्डुल- 140,235 तण्डुल सामान्य प्रकार के चावल को कहते थे । शालि तथा कुलय नामक विशेष प्रकार के चावलों का उल्लेख किया गया है । शालि एक विशेष प्रकार के सुगन्धित चावलों कों कहते थे । कामदेव मंदिर में शालि चावलों के स्तूप बनाकर सजावट की गयी थी । खड़ी शालि फसल की रक्षा करती हुई गोपिकाओं का वर्णन किया गया है । 2 शालि के तीन go 305 तिलकमंजरी, पृ० 182 1. स्थानस्थानविनिहिताखण्डशालितण्डुल स्तूपेन .. Joose door -तिलकमंजरी, उत्तालशालिवनगोपिकाकरतलताल- तरलितपलायमान ............ 1.

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