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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
थी । द्रविड़ देश की पत्रच्छेद रचना विशेष प्रसिद्ध थी 2 हरिवाहन ने भी चित्र - कर्म, पुस्तकर्म तथा पत्रच्छेद इन शिल्प कलाओं से अपना मनोरंजन किया
था | 3
पुस्तकर्म
पुस्तकर्म अथवा पुस्तक कर्म मिट्टी के खिलौने बनाने की कला को कहा जाता था । हर्षचरित इसका उल्लेख मिलता है ।4 बाण की मित्रमंडली में कुमारदत्त पुस्तकर्म दक्ष था 15 पुस्तक व्यापार या पुस्तक कर्म सभ्रान्त जनों की शिक्षा का आवश्यक अंग बन गया था । बाण ने कादम्बरी में चन्द्रापीड़ की शिक्षा में पुस्तक व्यापार का उल्लेख किया है । पुस्तकर्म प्रमुख शिल्प-कलाओं में माना जाता था । 7 तिलक मंजरी पुस्तककर्म में निपुण थी । 8
अन्य मनोरंजन
सभ्रान्त जनों के इन विशिष्ट मनोरंजनों के अतिरिक्त राजाओं एवं अन्य नागरिकों द्वारा पानोत्सव, द्यूत-क्रीड़ा, दोला-क्रीड़ा, जल-क्रीड़ा, भ्रमण, मृगया, इत्यादि से भी मनोरंजन करने का उल्लेख अनेकशः आया है, जिनका नीचं विस्तार से वर्णन किया जाता है ।
पानोत्सव
मधु-पान स्त्री एवं पुरुषों का अति प्रिय मनोरंजन था । विलासीजन अपने गृहोद्यान में अपनी प्रेयसियों के साथ मधु-पानोत्सव का आनन्द लेते थे । मेघवाहन द्वारा माणिक्य चषकों से अपनी प्रेमिकाओं को अनुनयपूर्वक कापिशायन
1. द्रविड़ादिषु पत्रच्छेद मेदेष्वन्येषु च विदग्धजन बिनोदयोग्येषु वस्तुविज्ञानेषु पृच्छ्नाम् । वही, पृ. 363
2.
वही, पृ. 363
3. कदाचिच्च बहुविकल्पेश्चित्रकर्म पुस्तपत्र च्छेदादिभिः शिल्पमेदंरापाद्यमानविस्मय: ....
वही, पृ. 394
— बाणभट् : हर्षचरित, पृ. 78
4. पुस्तकर्मणां पार्थिव विग्रहाः,
5. अग्रवाल वासुदेवशरण, हर्षचरित : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 29
6. वही, कादम्बरी : एक सांस्कृतिक अध्ययन, पृ. 90
7. तिलकमंजरी, पृ. 394
8. वही, पृ. 363
9. गृहोपवनेषु वनितासखः विलासिमिरनुभूयमांनमधुपानोत्सवा - वही, पृ.