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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
धारण की थी। सारसन का दो बार उल्लेख है। तीव्रता से नृत्य करती हुई मलयसुन्दरी की सारसन में से एक पद्मरागमणि उछलकर गिर गया था।' पैर के आभूषण
पैरों के आभूषणों में नूपुर, मंजीर तथा हंसक का उल्लेख है । नूपुर
नूपुरों की ध्वनि से प्राकृष्ट होकर मलयसुन्दरी का अनुसरण करने वाले विलास-दीपिका हंसों का उल्लेख आया है । वेताल के पहने हुए अस्थि नूपुरों का उल्लेख आया है। समरकेतु ने दिव्यायतन के समीप नूपुरों की मधुर झंकार सुनी थी। मणिनूपुरों का उल्लेख है। नूपुर का अन्यत्र भी उल्लेख है। मंजीर
पैरों के दूसरे बाभूषण मंजीर का एक बार उल्लेख है । यह तीव्रता से चलने पर बजता था।
हंसक
___हंसक का भी एक बार ही उल्लेख हुआ है ।10 चरणोमिका - परों की अंगुली में पहनने की अंगुठी, जिसे चरणोमिका कहते थे का भी उल्लेख पाया है। मदिरावती ने रत्नखचित चरणोमिका पहनी थी।1
1. अविरलविभाव्यमानमरकतेन्द्रनीलकुरूविन्दशकलया........कांचिलतया वलयितविशालश्रोणि पुलिनम्........
-वही, पृ. 246 2. वही, पृ. 288, 371 3. नृत्यन्त्यास्तवातिरभसेन सारसनमध्यसमा समुच्छलित एष पद्मरागः ।
-वही, पृ. 288 4. तिलकमंजरी, पृ. 301 5. वही पृ. 46 6. वही पृ. 158 7. वही पृ. 160, 302 8. वही पृ. 76, 206, 341 9. हेलोत्तालचलनरणन्मुखरमंजीरया...........
-वही पृ. 283 10. विलासिनीगमनमिव कलहंसकालापकृतक्षोभम्,
-वही, पृ. 204 11. वही, पृ. 32