________________
68
तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
(43, 121) रथांगपाणि (86), शाङ्गि (121), मधुरिपु (42, 122, 241), वैकुण्ठ (160, 234), केशव (200, 239), दामोदर (206), यवनकाल (234), त्रिविक्रम (240), मुरारि (351)।
विष्णु के विभिन्न अवतारों का उल्लेख मिलता है। विष्णु ने वामनावतार में अपने पाद-त्रय से पृथ्वी, आकाश तथा स्वर्ग तीनों लोकों को नाप लिया था एवं बलि को पाताल भेज दिया। इस कथा का उल्लेख पृ. 2, 3 तथा · 42 पर मिलता है । इनके वराहावतार (पृ. 15, 121, 234) का उल्लेख मिलता है, जिसके अन्तर्गत इन्होंने हिरण्याक्ष का वध किया था (पृ. 121), इनके द्वारा कूर्मावतार में पृथ्वी को उठाने का संकेत मिलता है (पृ. 121, 15)। विष्णु ने मतस्यावतार में समुद्र में गिरे हुए वेदों का उद्धार किया था ।। विष्णु के नरसिंहावतार का उल्लेख मिलता है । इन्होंने कंस का वध किया था, अतः कंसद्विष कहलाये (पृ. 16) । विष्णु सागर में शयन करते हैं (पृ. 16, 20, 120, 121)। शेषनाग इनकी शैय्या है (पृ. 20)। कल्पान्त में विष्णु की योग-निद्रा का उल्लेख किया गया है (पृ. 20) । लक्ष्मी-प्राप्ति के लिए इन्होंने समुद्र-मंथन हेतु मंदराचल को उखाड़ लिया था (पृ. 11)।
विष्णु को मधुकैटभ नामक राक्षसों का शत्रु वणित किया गया है (पृ. 12:, 122, 241)। विष्णु को शंख, चक्र, गदा, खड्ग तथा धनुष से युक्त वर्णित किया गया है (276)। इनका शंख पांचजन्य, चक्र सुदर्शन, कौमोदकी गदा, नन्दक खड्ग है तथा शाङ्ग धनुष है (पृ. 276, 160, 121, 86)। विष्णु का वाहन गरुड़ है (पृ. 86)। समुद्र-मन्थन में विष्णु की भूजारूपी शृखलाओं से मन्दराचल को बांधने का उल्लेख किया गया है (पृ. 239)।
विष्णु के पादान से गंगा के उद्गम की कथा का उल्लेख किया गया है। विष्णु के उदर में समस्त प्राणियों के निवास का वर्णन आया है ।। विश्वकर्मा
यह स्वर्ग का शिल्पी है (पृ. 220)।
1. : विधेहि वेदोद्धारिणः शकुलस्य केलिम्.......
-तिलकमंजरी, पृ. 146 तथा 121 2. प्रौढ़केसरिमकरारित.........
-वही, पृ. 121 3. त्रिविक्रममिव पादाग्रनिर्गतत्रिपथगासिन्धुप्रवाहम। ..
-तिलकमंजरी, पृ. 240 4. मुरारिजठरावासित इव व्यभाव्यत समग्रोऽपिभूतग्रामः ।
-वही, पृ. 351