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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
के समान ही अपना तथा अपने वंश का गद्य में ही परिचय देते हुए आख्यायिका की रचना करे । सर्ग के समान ही उच्छवासों में उसका विभाग करे, प्रथम उच्छवास के सिवाय, जिनके प्रारम्भ में आगामी घटनाओं की सूचक दो श्लिष्ट आर्याओं की रचना करनी चाहिए । भूत, वर्तमान अथवा भावी घटनाओं के विषय में संशय उत्पन्न होने पर संशययुक्त व्यक्ति के सामने अन्य किसी व्यक्ति द्वारा संशय का निवारण करने हेतु अन्योक्ति, समासोक्ति तथा श्लेष में से एक अथवा दो अलंकारों वाले श्लोकों का पाठन करवाये । ये श्लोक आर्या, अपरवक्त्र, पुष्पिताग्रा अथवा विषयानुकूल अन्य छन्दों में (प्रायः मालिनी में) रचित हों । रूद्रट द्वारा लिखित कथा तथा आख्यायिका का यह विभाग निश्चित रूप से बाण की कृतियों पर आधारित है । वस्तुतः सूक्ष्म दृष्टि से निरीक्षण किया जाय तो कथा तथा आख्यायिका में कोई अन्तर प्रतीत नहीं होता। तिलकमंजरी के विवेचन से भी यही सिद्ध होता है । दोनों की शैली में भी कोई अन्तर नहीं होता है। दोनों को विभाजित करने वाली प्रमुख रेखा है प्रतिपाद्य वस्तु, जो कथा में कल्पित होती है तथा आख्यायिका में इतिहास प्रसिद्ध ।
तिलकमंजरी : एक कथा . धनपाल ने स्वयं तिलक मंजरी को कथा कहा है-समस्त वाड्मय के ज्ञाता होने पर भी जैन सिद्धान्तों में निबद्ध कथाओं के प्रति कुतूहल उत्पन्न होने पर पवित्र चरित्र वाले राजा भोज के मनोरंजन के लिए अद्भुत रसों वाली इस कथा की रचना की।
अब देखना यह है कि काव्यशास्त्रियों की परिभाषाओं की कसौटी पर यह कितनी खरी उतरती है । तिलकमंजरी के प्रारम्भ में 53 पद्यों में प्रस्तावना लिखी गयी है, इनमें 26 पद्य पथ्या छंद में, 13 शार्दूलविक्रीडित छंद में, 3 भविपुला में, 3 मविपुला में, 2 उपजाति में, 3 वसन्ततिलका में, 1 मालिनी, एक मन्दाक्रान्ता तथा एक नविपुला छंद में रचे गए हैं। 53 पद्यों में कुल 9 छंदों का प्रयोग हुआ है। इन पद्यों में सर्वप्रथम जिन ऋषभदेव तथा महावीर की स्तुति की गयी है, तत्पश्चात् सरस्वती तथा कवि की वाणी की स्तुति, सत्कवि-प्रशंसा एवं दुर्जन निन्दा तथा प्रचलित गद्यशैली के प्रति अपना अभिमत प्रकट किया गया है। तत्पश्चात धनपाल ने अपने पूर्ववर्ती 17 कवियों की प्रशंसा की है, यहां धनपाल ने साहित्यशास्त्र के लक्षण का उल्लंघन किया है, क्योंकि रुद्रट के अनु
1. रुद्रट-काव्यालंकार, 16-26 2. वही, 16-27 3. वही, 16, 28-30 4. तिलकमंजरी, पद्य 50
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