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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
का उल्लेख भी आया है । बिन्दुमती में श्लोक के व्यंजनों के स्थान पर बिन्दु रख दिये जाते हैं और अ को छोड़कर अन्य स्वरों के चिह्न लगा दिय जाते हैं। इसमें बिन्दुओं और स्वरों के चिह्नों की सहायता से श्लोक बनाया जाता है । इन सबके उदाहरण धर्मदाससूरि के विदग्धमुखमंडन में प्राप्त होते हैं। गोष्ठी में विविध प्रकार के बुद्धिकौशल से युक्त प्रश्नोत्तर किये गये । प्रश्नोत्तर का अन्यत्र भी उल्लेख आया है। गूढचतुर्थपाद का उल्लेख एक परिसंख्या अलंकार द्वारा किया गया है। गूढचतुर्थपाद में श्लोक के तीन चरणों में चतुर्थ चरण छिपा रहता है।
. वैदर्मी रीति तथा जाति अलंकार का उल्लेख भी आया है ।। अर्थशास्त्र
- अर्थशास्त्र का अनेक बार उल्लेख किया गया है। सेनापति वज्रायुध ने अर्थशास्त्र में निष्णात अमात्यों से परामर्श कर कांची की और प्रस्थान किया था। मेघवाहन के अमात्यवर्ग ने समस्त नीतिशास्त्रों का सम्यग् अध्ययन किया था । समरकेतु ने नीतिविद्या का सम्यक अध्ययन किया था। समुद्र-यात्रा के प्रसंग में समरकेतु के मुख से धनपाल ने अर्थशास्त्र पर तीक्ष्ण व्यंग्य किया है। समरकेतु ने अपने कर्णधार तारक से कहा कि वह अर्थशास्त्र सम्मत मार्ग से प्रयाण के प्रतिबन्धक देशकालादि कारणों को विघ्न की आशंका से भयभीत मंत्री के समान अकारण ही न दर्शाये । इसी प्रकार समरकेतु कहता है कि फलाभिलाषी
1. वही, पृ. 394 2. चिन्त्यमानेषु मन्दमतिजनितनिवेदेषु प्रश्नोत्तरप्रमेदेषु"
-वही, पृ. 108 3. कदाचित्प्रश्नोत्तरप्रवहिलकायमकचक्रबिन्दुमत्यादिभिश्चित्रालंकारकाव्यः प्रपंचितविनोदः,
-वही, पृ. 394 4. गूढचतुर्थानां पादाकृष्टयः, . -तिलकमंजरी, पृ. 15 (क) वैदभीमिव रीतीनाम्, .
-वही, पृ. 159 (ख) जाति मिवालंकृतीनाम्,
- -वही, पृ. 159 6. सेनापतिरर्थशास्त्रपरामर्शपूतमतिमिरमान्यः सहकृतकार्यवस्तुनिर्णयः....।
-वही, पृ. 82 विदितनिः शेषनीतिशास्त्रसंहतेः....
-वही, पृ. 16 अधीतनीतिविधम्...
__-वही, पृ. 114 9. मैकान्ततो विनिपातमीमन्त्रीव यात्राभियोगभंगार्थमर्थशास्त्रप्रदर्शितेन वर्मना देशकालसहायवैकल्यादीनि कारणान्यकारणमेव दर्शय ।
-वही, पृ. 143
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