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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
कही गयी हैं । हरिवाहन ने दस वर्ष की अवस्था में सभी उपविद्याओं सहित चौदह विद्याओं का ज्ञान प्राप्त कर लिया था । षड्ङ्गों सहित चारों वेद, मीमांसा, आन्वीक्षिकी, धर्मशास्त्र तथा पुराण ये चौदह विद्याएं कही गयी हैं । । 2
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अर्थशास्त्र में सोलह वर्ष की आयुपर्यन्त विद्याध्ययन का विधान किया गया है । हरिवाहन ने सोलह वर्ष की आयु तक विद्याध्ययन किया था तथा षोडष वर्ष के पूर्ण होने पर मेघवाहन ने उसे अपने राजभवन में प्रविष्ट कराया। 3 समरनीति के अनुसार युद्ध में पराजित होने पर योद्धा अपने शस्त्र का त्याग कर देता है । 4 नीति के अनुसार युद्ध केवल दिन में ही होता था तथा रात्रि-युद्ध वीर क्षत्रियों के लिए हेय माना जाता था । रात्रि-युद्ध को सौप्तिक युद्ध कहते थे । 5 रात्रि युद्ध नीति के विरुद्ध माना गया है । "
कामशास्त्र
कामशास्त्र एवं कामशास्त्र सम्बन्धित विषयों का बहुलता से उल्लेख किया गया है । कामसूत्र का तीन बार उल्लेख आया है । 7 कामशास्त्र के लिए रतितन्त्र शब्द का भी प्रयोग मिलता है । मेघवाहन द्वारा रतिसमर के विस्तार का वर्णन किया गया है । दन्त-दशन, नखक्षत, कच-ग्रह तथा कर प्रहार आदि
1. दशभिरब्देश्चतुर्दशापि विद्यास्थानानि सह सर्वाभिरूपविधाभिर्विदांचकार । - तिलक मंजरी, पृ. 79 षडङ्गवेदाश्चत्वारो मीमांसाऽन्वीक्षिकी तथा । धर्मशास्त्रं पुराणं च बिद्या एताश्चतुर्दश ||
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4. तिलकमंजरी, पृ. 93
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- तिलकमंजरी, पराग टीका भाग 2, पृ. 188 कारणाय .... - तिलकमंजरी,
अतिक्रान्ते षोडशे वर्षे हर्षनिर्भरो राजा विसर्जितं
क्षुद्रक्षत्रिय लोकसूत्रितः सौप्तिकयुद्धमार्गः ।
..... नायं क्रमो नयस्य,
(क) ''साक्षादिव कामसूत्र विद्यामि:, (ख) कामसूत्रपारगैरप्य विदित वैशिकः, (ग) कामसूत्रध्यात्मशास्त्रम्,
रतितन्त्रपरम्परापरामर्श रसिकमनसः "
वही, पृ. 17
पृ. 79
-वही, पृ. 94
-वही, पृ. 95
-वही, पृ. 10
वही, पृ. 10 - वही, पृ. 260
वही, पृ. 107