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तिलकमंजरी, एक सांस्कृतिक अध्ययन
गया है (पृ. 24)। क्रोधित यम की हुंकार एवं वक्र भ्र कुटि का वर्णन किया गया है (86, 52) । यमराज के दूतों का उल्लेख किया गया है (पृ. 40)। यमुना
- यह यम की भगिनी है (पृ. 93,120,293)। बलराम द्वारा इसको अपने हल से खींच लेने की कथा का उल्लेख किया गया है (पृ. 17)। रम्मा
यह स्वर्ग की अप्सरा है (42,172,312)। इन्द्र की सभा में रम्भा के लास्य नृत्य का उल्लेख आया है (पृ. 42)। राम
राम दशरथ के पुत्र थे, अतः दाशरथि कहलाये (पृ. 135)। राम-रावण के युद्ध का उल्लेख किया गया है (पृ. 135)। रावण का वध करने के कारण इनका दशास्यदमन (136) नाम पड़ा। अन्य नाम रामचन्द्र (135) रामभद्र (136) हैं । राम द्वारा समुद्र पर सेतु निर्माण के लिये बाणों से समुद्र का भेदन करने की कथा का संकेत दिया गया है।' राम-रावण युद्ध में वानरसेना द्वारा सेतु निर्माण का संकेत (पृ. 135) मिलता है ।
यह लंकाधिपति राक्षससम्राट था (पृ. 95)। रावण द्वारा पार्वती को प्रसन्न करने के लिये अपना सिर काटकर देने की कथा का संकेत दिया गया है। रावण द्वारा सीता हरण की कथा का उल्लेख है। सीता की उदासीनता से रावण का दुःखी होना। व रावण द्वारा शिव की उपासना करने का उल्लेख है ( 122)। रावण द्वारा कैलाश पर्वत को अपने हाथों से उठा लेने की कथा का संकेत मिलता है।
राहु द्वारा चन्द्रमा को ग्रसने की कथा का अनेक बार उल्लेख किया
1. (क) दाशरथिशरफुशानुकशितत्विषाम्
-तिलकमंजरी, 9 160 (ख) अनपेक्षितरामविशिखशिखिशिखाऽम्बरेण""जलनिधिना....
-वही, पृ. 94 2. प्रणत्यनादरकुपित पार्वतीप्रसादनार्थमुपक्रान्तद्वितीयकण्ठच्छेद इव रावणः
तिलकमंजरी पृ. 53 3. रावणादिवोत्पन्नपरदारग्रहणःभिलाषैः....
वही, पृ. 134 4. जानकीवमुख्यदुःखक्षामदशकण्ठ"""
वही, पृ. 135 5. पौलस्त्यहस्तोल्लासित कैलासमिव हसन्तम्... वही, पृ. 239