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धनपाल का पाण्डित्य
दिया गया है। समाधि का उल्लेख मिलता है। ध्यान का संकेत दिया गया है। ध्यान एकाग्रता को कहते हैं । पद्मासन, अपवर्ग, मोक्षादि शब्दों का उल्लेख किया गया है। वेदान्त
वेदान्त के विवर्तवाद का दो स्थानों पर संकेत प्राप्त होता है। विवर्त तथा परिणाम ये दो सिद्धान्त प्रसिद्ध हैं । सांख्य तथा योग परिणाम को मानते हैं तथा वेदान्त विवर्तवाद को स्वीकार करता है। विवर्त अतात्विक परिणाम को कहते हैं जैसे रज्जुखण्ड में सर्प की प्रतीति । न्याय वैशेषिक
__वैशेषिक मत का दो स्थानों पर उल्लेख मिलता है । वैशेषिक मत में द्रव्य की प्रधानता तथा गुणों की गौणता मानी गई है। कणाद के वैशेषिक दर्शन में द्रव्य, गुण, कर्म, सामान्य, विशेष और समवाय इन छः पदार्थों की व्याख्या की गई है । इसमें से द्रव्य पदार्थ को प्रधान एवं नित्य माना गया है । द्रव्य अन्य सभी पदार्थों का आधार होने से प्रधान है ।' द्रव्य समवायिकारण तथा गुणों
1. ...क्षणदास्वपि समस्तवस्तुजातमुपजातयोगिज्ञान इव विज्ञात निरवशेषविशेषमावेदयति ।
-तिलकमंजरी, पृ. 130 2. तदेवार्थमात्रनिर्भासं स्वरूपशून्यामिव समाधिः । -योगसूत्र 313 3. गृहीतगाढ़चिन्तामोनश्च दृढ़समाधिस्थ इव -तिलकमंजरी, पृ. 130. 4. अवधाननिश्चलेन चेतसा परमयोगीव....
-वही, पृ. 141 5. तत्र प्रत्ययकतानताध्यान ।
-योगसूत्र 312 6. (क) निबद्धपद्मासनाम्""
-तिलकमंजरी, पृ. 217 (ख) आबद्यपद्मासनाम्
वही, पृ. 255 (ग) बद्धपद्मासनो....
. -वही, पृ. 399 (घ) अपवर्गचलितवीरवर्गभिन्नसूर्यमण्डलरूधिर प्रवाह इव -वही, पृ. 96 (ङ) विषमाश्वमण्डलमेदिनः प्राप्तमोक्षाः,
-वही, पृ. 89 7. (क) असुकृतस्येव विवर्तेः....
__ -वही, पृ. 126 (ख) अन्तकमिवोपजातगजविवर्तम्,
-वही, पृ. 185 ___ (क) वैशेषिकमते द्रव्यस्य कूटस्थनित्यता। -तिलकमंजरी, पृ. 12 __ (ख) वैशेषिकमते द्रव्यस्य प्राधान्यं गुणानामुपसर्जनभावो बभूव ।।
-वही, पृ. 15 9. माधवाचार्य, सर्वदर्शनसंग्रह, पृ. 400 ..