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(८) बहुतसे तीन मासिक.
(९) बहुतसे च्यार मासिक. . (१०) बहुतसे पांच मासिक प्रायश्चित्त सेवन कर आलोचना जो माया रहित करने वालोंको मूल सेवन कीया उतना ही प्रायश्चित्त दीया जाता है. अगर माया संयुक्त आलोचना करे. उस मुनिका मूल प्रायश्चित्तसे एक मास अधिक प्रायश्चित्त यावत् छे मासका प्रायश्चित्त होता है. इसके उपरान्त चाहे माया रहित, चाहे माया संयुक्त आलोचना करे. परन्तु छे माससे ज्यादा तपादि प्रायश्चित्त नहीं दीया जाता. उस मुनिको तो फिरसे दीक्षाका ही प्रायश्चित्त होता है. भावना पूर्ववत्. .
(११) मुनि जो मासिक, दोमासिक, तीन मासिक च्यार मासिक, पांच मासिक प्रायश्चित्त स्थान सेवन कर माया रहित निष्कपट भावसे आलोचना करने पर उस मुनिको मासिक, दो मासिक, तीन मासिक, चार मासिक, पांच मासिक प्रायश्चित्त होता है. अगर माया संयुक्त आलोचना करे तो मूल प्रायश्चित्तसे एक मास अधिक प्रायश्चित्त होता है. इस्के आगे प्रायश्चित्त नहीं है. भावना पूर्ववत्.
(१२) मुनि जो बहुसे मासिक, बहुतसे दो मासिक, एवं तीन मासिक, च्यार मासिक, पांच मासिक प्रायश्चित्त स्थान से. बन कर माया रहित आलोचना करे, उस मुनिको मासिक यावत् पांच मासिक प्रायश्चित्त होता है. अगर मायासंयुक्त आलोचना करे उसे मूल प्रायश्चित्तसे एक मास अधिक यावत् छेमासका प्रायश्चित्त होता है. भावना पूर्ववत्.
(१३) जो मुनि चातुर्मासिक, साधिक चातुर्मासिक पंचमासिक, साधिकपंचमासिक प्रायश्चित्त स्थानको सेवन कर माया रहित आलोचना करे, उसे मूल प्रायश्चित्त ही दोया जाता है.