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मासिक प्रायश्चित देना कारण-दो मासिक मूल्य प्रायश्चित और एक मास माया-कपटका, एवं.
(३) मुनि तीन मासिक प्रायश्चित स्थान सेवन कर माया रहित आलोचना करे, उस मुनिको तीन मासिक प्रायश्चित दीया जाता है. अगर माया संयुक्त आलोचना करे तो च्यार मासिक प्रायश्चित देना चाहिये. भावना पूर्ववत्.
(४) मनि च्यार मासिक प्रायश्चित स्थान सेवन कर माया रहित आलोचना करी हो, तो उस मुनिको च्यार मासिक प्रायश्चित देना, अगर माया संयुक्त आलोचना करे, पांच मासका प्रायश्चित देना. भावना पूर्ववत्.
(५) मुनि पांच मासिक प्रा०स्थान सेवन कर आलोचना करी हो तो उस मुनिको पांचमासिक प्रायश्चित देना, अगर माया संयुक्त आलोचना करी हो, तो उस मुनिको छ मासिक प्रायश्चित देना चाहिये. भावना पर्ववत्. छे माससे अधिक प्रायश्चित नहीं है. अधिक प्रायश्चित हो तो फीरसे आठवां प्रायश्चित अर्थात् मूलसे दीक्षा देनी चाहिये.
(६) मुनि बहुत सी वार मासिक प्रायश्चित सेवन कर मायारहित आलोचना करे, उस मुनिको मासिक प्रायश्चित होता है, अगर माया संयुक्त आलोचना करनेसे दो मासिक प्रायश्चित्त होता है. एक मासिक मूल प्रायश्चित और एक मास मायाका. . (७) एवं बहुतसे दो मासिक.
१ जिस तीर्थकरोने उत्कृष्ट तप कीया हो, तथा उन्हों के शासनमें उत्कृष्ट तप हो, उसको अधिक तपका प्रायश्चित नहीं दीया जाता है. भगवान् वीरप्रभु उत्कृष्ट छे मासी तप कीया था, वास्ते वीरशासनके मुनियोंको उत्कृष्ट छे माससे अधिक तप प्रायश्चित्त नहीं दीया जाता है. अधिक होतो मूलसे दीक्षा दी जावे.