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प्रवचन-गुधा
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कि यह व्यापार-धन्धा तो कुछ करता नहीं है, फिर उसके पास यह धन कहां से आता है ? धीरे-धीरे यह बात राज्य के अधिकारियों के कानों तक पहुंच गई । वे लोग भी गुप्त रूप से उसके ऊपर नजर रखने लगे । मगर वह व्यक्ति इतना सतर्क और सावधान था कि अधिकारियों की पकड़ में नहीं आया । इस प्रकार बहुत समय बीत गया ।
इधर राज्य में भ्रष्टाचार बढ़ गया और राज्याधिकारी अपने कर्तव्यपालन मे शिथिल हो गये । फलस्वरूप राज्य के चालू खजाने की सम्पत्ति समाप्त हो गई. और राज्य ऋण के भार से दब गया। दूसरी ओर दुष्काल पड़ा और एक समीपवर्ती राजा ने राज्य पर आक्रमण भी कर दिया। इससे राजा बहुत परेशानी में पड़ गया। राज्य के अधिकारी किनारा-कशी करने लगे, तथा राज्य के अन्य हितैषी लोग भी अपनी नजर चुराने लगे । इस प्रकार राजा पर बहुत भारी मुसीबत आ गई । उस समय जिस व्यक्ति के पास गुप्त खजाने की चावी थी, उसने सोचा कि राज्य इस समय संकटग्रस्त है । कही ऐसा न हो कि इससे संत्रस्त होकर राजा अपने प्राणों की बाजी न लगा दे । यह विचार कर वह एक दिन एकान्त-अवसर पाकर राजा के पास गया। राजा ने पूछा- भाई, तुम कौन हो और कैसे आये हो ? उसने कहा— महाराज, 异
आपका चोर हूं और यह कहने के लिए मैं आपके पास आया हूं कि मेरे पास जो कुछ भी धन हैं, वह आप ले लीजिए, ताकि मै शुद्ध हो जाऊँ ? राजा उसकी बात सुनकर बड़ा विस्मित हुआ और वोला भाई, मैं तुझे चोर नहीं समझता । मैंने गुप्त सूत्रों से तेरी जांच-पड़ताल की है, पर तेरी एक भी चोरी पकड़ में नहीं आई है । जव चोरी नहीं पकड़ी गई है, तव मैं तुम्हारा धन कैसे ले सकता हूं ! वह व्यक्ति बोला - महाराज मैने आपके खजाने से इतना धन चुराया है कि यदि में व्याज सहित उसका भुगतान करूं, तो भी नहीं चुका सकता । अतः मेरा निवेदन है कि आप मेरा सब धन लेकर मुझे चोरी के अपराध से मुक्त कीजिए । राजा ने कहा- भाई, जब तेरी चोरी पकड़ी ही नहीं गई हैं, तब मैं कैसे तो तुम्हें चोर मानू और कैसे तुम्हारा धन ल् ? हां, यदि तू राज्य की सहायतार्थ दे, या कर्ज पर दे, अथवा भेंट में दे, तब तो मैं तेरा धन ले सकता हूं | अन्यथा नही । वह बोला - महाराज, न तो मैं भेंट देने के योग्य हूं, न ऋण पर ही देने का अधिकारी हूं और न राज्य की सहायता ही कर सकता हूं । किन्तु मैंने राज्य के खजाने से चोरियां की है, अतः मैं तो आप से यही प्रार्थना करता हूं, कि मैं आपका धन आपको वापिस देकर आत्मशुद्धि करना चाहता हूं, कृपया मेरा धन लेकर मुझे शुद्ध कीजिए । अब दोनों अपनी अपनी बात पर अड़ गये। राजा कहता है कि तू चोर नहीं है तो मैं
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