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प्रवचन-सुधा
मुख से अपराध को स्वीकार नहीं कार लेते हो, तब तक तुम्हें दंड कैसे दे सकता हूँ। मेरा मन अवश्य कहता है कि तुम चोर हो । तब रोहिणिया बोलाकुमार आपका विचार बिलकुल सत्य है । आप जिस चोर को पकड़ने के लिए इतने दिनों से परिश्रम उठा रहे हैं और दौड़-धूप कर रहे हैं, वह शेहिणिया चोर मैं ही हूँ। राजगृह नगर में और सारे मगध देश में जितनी बोरियां हुई हैं और बाके पड़े हैं उन सब में मेरा पूरा-पूरा हाथ है । मैं दंड का पात्र हूँ। आप मुझे नि:संकोच अवश्य दंड दीजिए। अभयकुमार बोले-भाई, मैं तुम्हें चोर सिद्ध नहीं कर पाया हूँ। तुमने चोरी को स्वीकार किया, यह देख मुझे बड़ा आश्चर्य है। वह बोला -मैंने आप जैसे अनेक चतुरों को चक्कर में डाला है और अच्छे होशियारों को आँखों में धूल झोंकी है। परन्तु आज तक कोई भी मुझे पकड़ नहीं सका है । लव माज मैं स्वयं ही आपको आत्मसमर्पण कर रहा हूँ और अपने को अपराधी घोपित करता हूँ। यह कार्य में किसी के आतंक या भय से नही, किन्तु स्वेच्छा से कर रहा हूँ। यह भगवान् महावीर की वाणी का ही प्रताप है। भाई, देखो-भगवान् की वाणी की प्रशंसा एक महापापी डाकू और चोर भी कर रहा है। तब अभय कुमार ने कहा-तुमने भगवान् की वाणी कब सुनी तब उसने कहा- मैंने हृदय से, श्रद्धा या भक्ति से नहीं सुनी । किन्तु पैर का कांटा निकालते हुए अकस्मात् उनकी वाणी कानों में पड़ गई । मैंने उसे भूलने का बहुत प्रयत्न किया। परन्तु भूल नहीं सका । आज उसी के प्रताप से में आप जैसे बुद्धिमानों के चक्कर से बच गया हूं । अव आप मुझे सहर्ष महाराज श्रेणिक के समीप ले चलिये । वे जो दड देंगे, उसे लेने के लिए मैं तैयार हूं।
अब अभयकुमार उसे लेकर राज-सभा में गये 1 श्रेणिक महाराज को नमस्कार करके बोले----महाराज आपके सामने एक विशिष्ट व्यक्ति को उपस्थित कर रहा है। भाईयो, देखो अभयकुमार के हृदय की महत्ता । उसे चोर नहीं कहकर एक विशिष्ट व्यक्ति कहा । श्रेणिक ने उससे पूछा-भाई, तुम कौन हो ? उसने कहा- महाराज, मैं रोहिणिया चोर हूं, जिसने आपके राज्य में और सारे नगर में अशान्ति मचा रखी है। राजा श्रेणिक उसे तीक्ष्ण दृष्टि से देखते हुए बोले - अच्छा, तू ही रोहिणिया चोर है ? तूने ही हमारे सारे राज्य में आतंक फैला रखा है। वह बोला-हा महाराज, मैं वही रोहिणिया चोर हैं । तव श्रेणिक ने अभयकुमार से पूछा-तुमने इसे विशिष्ट व्यक्ति कैसे कहा ? उन्होंने उत्तर दिया--महाराज, मैंने इसे चोरी करते हुए. नहीं पकड़ा है । यह स्वयं ही अपने मुख से अपने को चोर कह रहा है ।