Book Title: Pravachan Sudha
Author(s): Mishrimalmuni
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur

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Page 364
________________ धर्मकथा का ध्येय कि इसे पकड़ कर राज-सभा मे उपस्थित करो। यह कह कर राजा महल से निकल कर राज सभा में चले गये। _शूली का सिंहासन थोड़ी ही देर मे यह समाचार सारे नगर में बिजली के समान फैल गया और सभी सरदार और साहूकार लोग राज-सभा में जा पहुंचे। जब यह समाचार सुदर्शन की पत्नी मनोरमा ने सुना, तो उसे मानो लकवा ही मार गया हो, ऐसी दशा हो गई। वह सोचने लगी- मेरे पति तो सदा की मांति पौपधशाला मे, ध्यान करने के लिए गये थे, फिर 'रानी के महल में कैसे पहुंचे । वे स्वयं गये हों, यह कभी संभव नहीं है । अवश्य ही इसमें कुछ रहस्य है ? जो कुछ भी हो, वे जब तक निरपराध होकर घर मे नहीं आते हैं तव तक मेरे भी अन्न-जल का त्याग है ऐसा संकल्प कर और सर्व कार्य छोड़कर ध्यानावस्थित हो भगवत्-स्मरण करने लगी। राज-सभा में पहुंचते ही राजा ने दीवान से कहा--कोतवाल को बुलाकर कहो कि वह सुदर्शन को गधे पर चढ़ा कर सारे नगर में घुमावे और फिर श्मशान में ले जाकर के शूली पर चढ़ा देवे। जैसे ही राजा का यह आदेश सुना तो सारी सभा में कुहराम मच गया। सरदार और साहूकार लोगो ने खड़े होकर राजा से निवेदन किया--महाराज, यह कभी संभव नहीं है कि सुदर्शन सेठ किसी दुर्भावना से महारानी जी के महल में गये हों ? अवश्य ही इसमें कुछ रहस्य है । जव लोग यह कह ही रहे थे, तभी पहरेदार लोग सुदर्शन को पकड़े हुए राज-सभा में लाये । सुदर्शन को देखते ही राजा ने उत्तेजित होकर कहा- आप लोग ही इससे पूछ लेवे कि यह क्यों रानी के महल में रात के समय गया ? प्रमुख लोगों ने पास आकर पूज-सेठजी, बताइये, क्या बात है ? और क्यों बाप रात के समय महारानी जी के महल में गये ? परन्तु सुदर्शन ने किसी को कोई उत्तर नहीं दिया और मूत्तिवत् मौन धारण किये ध्यानस्थ खड़े रहे। सुदर्शन की ओर से कोई उत्तर न पाकर वे लोग भी किंकर्तव्य-विमूढ़ हो चुप हो गये। राजा ने कोतवाल से कहा-~-इसे ले जाओ और गधे पर चढ़ा कर तथा सारे नगर में घुमा कर शूली पर चढ़ा दो। राजा का आदेश सुनते ही कोतवाल सुदर्शन को पकड़ करके राज-सभा से वाहिर ले गया और गधे पर बैठाकर उन्हें सारे नगर में घुमाया । समझदार लोग यह दृश्य नही देख सके और नीचा मुख किये अपने-अपने घरों में बैठे रहे । जो नासमझ और दुराचारी थे वे ही लोग तमाशा देखने के लिए पीछ

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