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मन भी धवल रखिए । देवियो के द्वारा पूछे गये प्रश्नो का वह पूरी सावधानी के साथ उत्तर देता रहा और किसी भी प्रकार से उनके चगुल मे नही फसा । अभयकुमार महल के वाहिरी दरवाजे पर बैठे हुए यह सव वार्तालाप सुनते रहे । वे मन मे सोचने लगे कि है तो यह बहुत होशियार। इसकी होशियारी के सामने मेरी सारी चतुगई वेकार सिद्ध हुई।
प्रात काल होने पर महल के दरवाजे खोल दिये गये। अभयकुमार ने उसे अपने पास बुलाया और उससे पूछा---पहो भाई रात मे नीद तो आराम से आई ? उमने कहा हाँ, मैं रात भर खूब आराम से सोया । फिर कुछ रुक कर वोला-कुमार, मैं रात मे स्वर्ग चला गया। वहाँ पर चार देवियाँ मिली । उन्होंने पूछा कि तुम मर कर स्वर्ग आये हो ? अथवा इमी शरीर के साथ आये हो ? मैंने कहा इसी देह के साथ आया हूँ। उनसे मेरी नाना प्रकार की मीठी-मीठी बाते भी हुई हैं। अब मैं स्वर्ग से लौट कर आ रहा है। अभय कुमार उसकी ये बाते सुनकर समझ गये वि इसे चक्कर में डाल कर भेद पाना कठिन है। उधर वह चोर भी मन में सोचने लगा कि बाहरे भगवान महावीर, तेरी वाणी कैसी अद्भुत है । मैंने उस दिन जापकी वाणी को विना मन के भी सुना तो आज अभयकुमार के चक्कर से बाल-बाल बच गया हूँ। यदि मैं आपकी वाणी को हृदय से श्रद्धा पूर्वक सुन तो अवश्य ही मेरे जन्म-जन्मान्तरो के कोटि-कोटि पाप झड जायेंगे इसमे कोई आश्चर्य नही है। मेरे पिता तो महान् पातको थे । उहोने जीवन भर चोरियाँ की और डाके डाले । तथा मरते समय मुझे भी वही पाप करने की शिक्षा दे गये । मैने आज तक असख्य पाप कर अपना जीवन व्यर्थ गवा दिया। अब में यदि अभय कुमार के चगुल से निकल सका तो अवश्य ही इस पाप भरी दृत्ति को छोड कर निर्दोप जीवनयापन करूंगा।
भाइयो, कहो, वह जो कोयला सा काला था, अब हीरा-सा निर्मल बन रहा है, या नही ? उसने अभयकुमार से पूछा कुमार, सच बताइये, आपका इरादा क्या है ? आपने क्यो इतने दिनो से रोक रखा है ? यदि आप यथार्थ जानकारी चाहते हैं, तो मैं सत्य-सत्य बात कहने को तैयार ह। तब अभय कुमार ने कहा- रोहिणिया मेरा हृदय कहता है कि इस राजगृह नगर मे
और सारे मगध देश मे जो चोरियों हो रही है और डाके पड़ रहे है, उनमे निश्चय से तुम्हारा हाथ है। तव वह वोला-कुमार, यदि आपका ऐसा विश्वास है और आपका हदय ऐसा कहता है, तब मुझ दट क्यो नहीं देने हो? अभय कुमार ने कहा- भाई कानून वीच म अडता है । जब तक तुम अपने