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प्राम-गुधा
जाति की धान्य के दाने होंगे, आपये मांगने पर वैसी ही जाति याने मापतो दे टू गो, सो भडार मे मे निकाल करये ला रही ह । मेट ने उगे भी और बैठा दिया । तीसरी बहु ने तिजोडी मे मे दिविया नियाल र दाने निकाले
और लाकर ससुर को दिये । जब उसमें ईश्वर की नाक्षीपूर्वी पृछा गया तो उसने कहा कि मैं ईश्वर की साक्षी से कहती है कि ये ये ही गाने है। मैंने उनको इस प्रकार से तिजोडी मे अभी तक सुरक्षित रखा है। गाने उमे भी एक ओर बैठा दिया। जब चौत्री-~~-मबसे छोटी बहू को अमानत देने के लिए बुलाया गया तो उसने आकर के सेठजी से रहा ~~उस अमानन को लाने के लिए गाडियां भिजवाइये । सेटजी ने कहा-भरी बह रानी, मैंने तो पाच दाने दिये थे, फिर उनको ताने लिए गाडियो भी क्या नावश्यवना है ? उसने कहा - मैंने वे दाने अपने पीहर वोने के लिए भिजवा दिये थे। पाच वर्ष में वे बढकर एक कोठा भर हो गये है मत दे गाडियो के बिना नरी आ मरते है । सेठ ने उसे भी बैठ जाने को कहा।
अब सेठ ने सब पचो को सम्बोधित करते हुए कहा-~-माइयो, आप लोगो को याद होगा कि आज से पांच वर्ष पूर्व जीमनवार के पश्चात् आप लोगो के सामने इन बहरानियो को धान्य के पाच दाने देकर सुरक्षित रखने को कहा था। आज मैंने अपनी अमानत सवसे वापिम मांगी है। और आप लोग सुन ही चुके हैं कि किसने किस प्रकार अपनी अमानत वापिस की है। यह कार्य मैंने इतनी परीक्षा के लिए किया था कि कौन कितनी कुशल है और पौन घर वार को सभालने मे योग्य है । अब हम दोनो वृद्ध हो गये हैं। अत घर का भार इन लोगो को सौप करके नि शल्य हो धर्ममाधन करना चाहते है। कोई यह न समझे कि मेंने बहुओ के साथ कोई अन्याय किया। इमलिए ही मैंने इनकी परीक्षा ली है। सबसे छोटी बहू ने मेरी अमानत वो बताया है, अत मुझे विश्वास है कि यह हमारे पीछे घर-वार को बढाती रहेगी। इसलिए मैं इसका नाम रोहिणी (वडिया) रखता हू और इसे घर की मालकिन बनाता है। जिस बहू ने अपने दानो को तिजोडी मे सुरक्षित रखा है उसका नाम रक्षिता रखता है और घर के आभूपण और रोकडवाली तिजोडी की और खजाने की चाबी इसे सोपता हूँ। मुझे विश्वास है कि यह सौपी हुई सम्पत्ति को सुरक्षित रखेगी। जिस बहू ने मेरी अमानत को खाकर देखा है वह सानपान मे चतुर मालूम पडती है, अत उसका नाम भक्षिता रखता हूँ और आज से रसोई का काम इसे सौपता हू। सबसे बडी बहू ने मेरी अमानत के दाने इधर-उधर फेव दिये है, अत. इसका नाम उज्झिता रखता हू और चूंकि यह