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प्रवचन-सुधा
निकाल लो । जैसे ही एक डाकू ने कुल्हाडी उठाई, वैमे ही स्त्री को गुस्सा ना गया उसके खून मे जोश दौड गया 1 उसने अपने धणी से कहा--अरे मोलिए, तेरे होते हुए ये मेरे पैर काटते हैं ? स्त्री के शब्द सुनते ही आदमी को भी जोश आगया तो उसने अपने दोनो हाथो से दो डावूओ को दबा लिया । स्त्री ने शोर मचाया और उसकी आवाज सुनकर इधर-उधर से लोग आगये । तब वे डाकू किसी प्रकार से उसमे अपने को छुडावर के भाग गये । माई, उस मनुष्य मे जोश कब आया ? जब स्त्री ने ताना मारा । पर जिनके चलते हुए ही धोती खुल जाती है, उन्हे एक क्या, दम ताने भी सुना दो, तो भी वे क्या कर सकेंगे। सारे कथन का अभिप्राय यह है कि आपको अपने बच्चो को निर्भय बनाना है । इसके लिए उनकी शारीरिक शक्ति का विकास करना होगा । इसके लिए आपको अखाडे और व्यायामशाला खोलना चाहिए और उनमे अपने बच्चो को भेज कर शारीरिक सामर्थ्य से सम्पन्न बनाना चाहिए । जो गरीव वालक है, उन्हे प्रोत्साहन देना चाहिए और उनको दूध पिलाने का भी प्रवन्ध करना चाहिए । आज अखबारो मे पढते है कि कहीं कोई शिव-मेना बना रहा है और कही कोई वानर-सेना बना रहा है । जो ऐसा पोरुप दिखाते हैं तो सरकार को भी उनके सामने झुकना पड़ता है मीर उनकी मागो को स्वीकार करना पड़ता है। परन्तु क्या आप लोगो ने कही ऐसा भी सुना है कि ओसवालो ने, या अग्रवाल ने या माहेश्वरियो ने ऐमी कोई सेना बनाई हो । अरे, सेना बनाना तो दूर की बात है, परन्तु हमारे समाज का हृदय तो सेना को देखते ही धक-धक करने लगता है । यो तो आप लोग एक पैसा भी निकाल करके नही देंगे । परन्तु जब ऊपर से मार पडती है, तो तिजोरी की चाविया भी चुपचाप दे देते हैं । भाई, जब तक आपमे शारीरिक बल नही आयगा, तब तक आपमे पौरुप और साहस भी नहीं आ सकता और सहनशीलता भी नही आ सकती है । सहनशीलता के आये विना न मनुष्य अपने विचारो पर दृढ रह सकता है और न ब्रत सयम और तप में ही स्थिर रह सकता है।
शक्तिशाली ही समझा सकता है सोजत की एक लडकी पाली में अच्छे ठिकाने विवाही हुई थी। उसका पति कुसगत से शराब पीने लगा । स्त्री के वार-चार मना करने पर उसने उसे मारना शुरू कर दिया । जब उसके बाप को पता चला तो वह उसे लिवा ले गया। उसके ससुर ने उसके साथ ऐसा कठोर व्यवहार किया और कहा कि यदि तू शराब पीना नहीं छोड़ेगा तो मैं तुझे जान से मार दूगा। तब वह शराव क्या, भग पीना तक भूल गया।