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११. सर्वोत्तम अरिहन्त-पद प्राप्त करने पर भी कभी अभि
मान नहीं करते। १२. पूर्णतया निष्कपट होने से वे किसी भी स्थिति में
माया नही करते। १३. निर्लोभी एवं निष्परिग्रही होने से वे किसी भी वस्तु
को पाने के लिए लालायित नहीं होते । १४. किसी की समृद्धि, सिद्धि एव प्रसिद्धि को देखकर उनके
अन्तर्मन मे जलन पैदा नहीं होती। १५. सर्वत्र सर्वदर्शी होने से उनके लिए कोई भी विषय
अज्ञात नहीं रह जाता, क्योंकि अज्ञान की सर्वथा निवृत्ति होने पर ही उन्हे केवलज्ञान की उपलब्धि
हीती है। १६. मद, प्रमाद और उन्माद आदि विकारों की उन पर
___छाया भी नहीं पड़ सकती है । १७. मस्तिष्क एवं शरीर की थकान निद्रा से दूर होती है,
परन्तु अरिहन्त सर्वदर्शी होते है, अत: उनके मस्तिष्क एवं शरीर को किसी भी प्रकार की श्रान्ति एवं थकान
नही होती, अत: वे सदैव निद्रा-मुक्त होते हैं ! १८. वीतराग होने से वे किसी पर राग-भाव नही रखते ।
उनका प्रेम किसी व्यक्ति विशेष पर नही, प्रत्युत समस्त २०]
[द्वितीय प्रकाश