Book Title: Namaskar Mantra
Author(s): Fulchandra Shraman
Publisher: Atmaram Jain Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 179
________________ अधिक नहीं। ५. जैसे भ्रमर बिना निमंत्रण दिए अकस्मात् मकरन्द ग्रहण करने के लिए फूलों के पास पहुंच जाता है, वैसे ही साधु भी बिना निमंत्रण दिए ही भिक्षा के लिए गृहस्थों के घर पहुंच जाता है। ६. जैसे भ्रमर केतकी के फूलों से अधिक प्रीति रखता है, वैसे ही साधु भी चारित्र-धर्म पर अधिक प्रीति रखता ७. जैसे भ्रमर के निमित्त बाग-बगीचे नहीं लगाये जाते, वैसे ही साधु के निमित्त जो आहार आदि नहीं बनाया जाता, साधु उसी को अपने उपयोग में लाता है । ८. मृग साधु मृग के समान होता है, क्योंकि अन्य प्राणियों की अपेक्षा मृग अर्थात् हिरण में कुछ ऐसी विशेषताएं हैं जिनकी तुलना साधु के साथ की जा सकती है, वे सात हैं, जैसे कि : १. जैसे मृग सिंह से भयभीत होता है, वैसे ही साधु भी हिसा प्रादि पाप कर्म करने से डरता है। २. जैसे मृग जिस घास पर से निकलता है, उस घास को मृग नहीं खाता, वैसे ही साधु भी सदोष आहार कभी महण नहीं करता। नमस्कार मन्त्र ] (१५५

Loading...

Page Navigation
1 ... 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200