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अरिहंत नमुक्कारो एवं खलु वण्णिो महत्थुत्ति । जो मरणंमि उवलग्गे अभिक्खणं कीरए बहुसो ।।
यह अरिहंत भगवान को किया हुअा नमस्कार महान् अर्थ वाला है, अल्प अक्षर वाले इस नमस्कार-पद में बारह अंगों का अर्थ समाविष्ट है, यही कारण है कि मृत्यु के निकट होने पर तथा बड़ी से बड़ी आपत्ति प्राने पर भी इसी का स्मरण किया जाता है, अतः यह सब भयों से बचाने वाला है।
अरिहंत नमुक्कारो सव्व पाव-प्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मगल ।।
(हरिभद्रीयावश्यकभाष्य गा. ९२३-९२६) अरिहंत-नमस्कार सभी अशुभ कर्मों का नाश करनेवाला है, विश्व भर के सभी द्रव्य-मंगलों और भाव-मंगलों में यह प्रमुख मंगल है। प्राचार्य मलयगिरि के शब्दों में नमस्कार माहात्म्य
एसो पंच नमुक्कारो सव्वपावप्पणासणो । मंगलाणं च सव्वेसिं पढमं हवइ मंगलं ।।
पांच पदों का यह नमस्कार मंत्र सभी पापों का नाश करनेवाला है और संसार के समी मंगलों में यह मुख्य मंगल है।
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[षष्ठ प्रकाश