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णमो आयरियाणं
चतुर्थ प्रकाश
नमस्कार मन्त्र का तीसरा पद है "नमो प्रायरियाण" नमस्कार हो प्राचार्यो को।
प्रश्न उत्पन्न होता है कि यहां प्राचार्य शब्द से क्या अभिप्राय है ? क्योंकि आचार्य शब्द अनेक अर्थों में रूढ़ है, जैसे कि किसी भी विशेष विषय या कला के मर्मज्ञ विद्वान को प्राचार्य कहा जाता है । जैसे कि न्यायाचार्य, वेदाचार्य, व्याकरणाचार्य, साहित्याचार्य, दर्शनाचार्य, आयुर्वेदाचार्य, ज्योतिषाचार्य, कलाचार्य, शिल्पाचार्य, संगीताचार्य, नाटयाचार्य आदि । इसी प्रकार विश्वविद्यालयों से प्राप्त की हुई प्राचार्य उपाधि से विभूषित विद्वान् भी आचार्य कहलाते है। कभी-कभी राष्ट्रीय नेताओं द्वारा किसी विद्वान् को सम्मानित करने के लिए भी प्राचार्य-पद प्रदान कर दिया जाता है और किसी के अन्त्येष्टि-संस्कार से पहले और बाद में क्रिया-कर्म करवा कर दान लेने वाले जघन्य ब्राह्मण जिन्हे महाब्राह्मण या