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सुन्दर, दूसरों के अभिप्राय को यथातथ्य समझने वाला, अध्ययन-अध्यापन करते समय अतिशीघ्रता से विषय को समझने वाला यह अर्थ भगवान ने किस अभिप्राय से अभिव्यक्त किया है ? ऐसे प्रत्येक प्रश्न की सीमा तक शीघ्र पहुंचाने बाले उपाव्याय वेगशाली घोड़े के समान ही होते हैं । इसीलिए प्राकीर्ण जाति के घोड़े के साथ मिलतेजुलते समान धर्मो से बहुश्र त को उपमित किया गया है।
३. दृढ़पराक्रमी योधा की उपमा-रणभूमि से विजय प'कर जब किसी शूरवीर का नगर की ओर से सम्मान किया जाता है, तब वह शूरवीर राजकीय शस्त्राभूषणो से सनद्ध-बद्ध, आकीर्ण जाति के घोड़े पर सवार होता है तब दोनो ओर गाए जाने वाले म गल-गीतों से लोगो द्वारा दिए जाने वाले आशीर्वादो से और दोनो ओर बजाए जाने वाले सनिक वाद्यों से उसकी वह अजेयता प्रशसित होती है। उस शूरवीर की तरह जब शास्त्रार्थ-महारथियो को पराजित कर सर्वतोभावेन विजयी बने हुए बहुश्र त का भी जनता की ओर से सम्मान होता है, उस समय वह सात्त्विक मन' रूप घोड़े पर सवार होता है, जय-विजय की ध्वनि से प्रतिध्वनित होता हुआ जिन-मार्ग की प्रभावना करता है, अतः बहुश्रुत को शूरवीर की उपमा से उपमित किया गया है।
४. यौवन प्राप्त हाथी की उपमा-साठ वर्ष की आयु वाला हाथी किसी से भी पराजित नही होता, प्रौढ़ यौवन ८८]