Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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हनुमन्त कथा पर पवनकुमार के पिता प्रहलाद आ गये। धोनों राजा मिलकर अतीव प्रसन्न हुए
बहुत प्रानन्द बुहु मन भयो, ताको वर्णन जाइ न कहयो। कनक सिला सोभै अति भली, बैठा तहाँ भूपति अति बली 1
राजा महेन्द्र ने अपनी पुत्री अंजना का राजा प्रहलाद के सामने प्रस्ताव रखा भौर कहले लगा -
मुझ पुत्री मुन्दरि अंजनी, एप विवेक कला बह भणी । वर प्राप्ति सा कन्या भई, निस यासरि मुझ निहा गई। चित अधिक गई , तो दो नारा दीर । राज कुबार देख सब टोहि, बात विचार न आये कोई ॥५६॥ हम ऊपरि फरिदार पसाब, राखौ बोन मारो राव । भात तुम्हारै चित्त सुहाइ, पवन श्रेजना वीज च्याहि ॥६६॥
अन्त में विवाह का निश्चय हो गया और शुभ मूहरत में दोनों का विवाह हो गया । एक महीने तक वहां बारात ठहरी ।
संका में रावण का शासन था । वह तीनखंड का सम्राट था 1 चारों दिशाओं में उमक्री धाक श्री। लेकिन पुहरीक नगर के राजा वरुण अपने आपको अधिक शक्तिशाली मानते थे। इसलिये रावण ने उस पर विजय प्राप्त करने का निश्चय किया और अपना दूत उसके दरबार में भेजा । इसके पश्चात् दोनों की सेनामों में युद्ध छिडा लेकिन रावण जीत नहीं सका । वह वापिम का आ गया और सेना एकत्रित करके युद्ध को पुनः तैयारी करने लगा। रावण ने प्रहलाद राजा को भी सेना लेकर बुलाया । पत्रनकुमार ने अपने पिता के समक्ष स्वयं जाने का प्रस्ताव रखा और पिता की स्वीकृति से सेना को साथ लेकर चल दिया। रात्रि होने पर सरोबर के पाम पड़ाव डाल दिया । वर्हा पवनकुमार ने चकवी के विग्ग को देखा । पवनकुमार को अंजना की याद आ गयी जिसको उसने अकारण ही १२ वर्ष से छोड़ रखा था । अन्त में वह अपने मित्र की सहायता से तलाल उसी रात्रि को अंजना से मिलने गया। इंजना से अपने किये पर क्षमा मांगी और दोनों ने रात्रि आनन्द से व्यतीत की | अंजना की प्रार्थना पर उसे एक म्बर्गा ग्रंगूठी देकर पवनंजय वापिस युद्ध भूमि के लिये चल दिया।
ग्रंजना गर्भवती हो गयी 1 चारों ओर चर्चा होने लगी। उसकी साम को जब मालूम पड़ा तो अंजना ने अपना स्पष्टीकरण दे दिया लेकिन किमी ने उस पर विश्वास नहीं किया और उसको अपने पिता के घर भेज दिया । पिता ने भी उसके चरित्र पर सन्देह किया और बहुत कुछ समझाने पर भी किसी बात पर भी