Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 320
________________ जम्बूस्वामी रास भूपति विस्मय प्रामीयाचित्राम लिक्षा दामोया । श्रेणिक चिंतातुर तव हूउए । सहीए ।१॥२५८।। हवडी राह कहि किम करूं, किम काया किम जीव घरू । प्रति घणु कष्ट हूं प्रामीउए । सहीए ।। १६॥२५६।। जंबुकुमर द्वारा जाने का प्रस्ताव चिंतातुर रा देखीउ, जंबुकुमारि पेखोड़ । बोलीए सांभाल राय तुझ कहूंए । सहीए ॥२०॥२६॥ मुझ प्रादेश देउ राय, खग साथि जाउ तिणि ठाय । काजए करसुरा तह्म तणउए । सहीए । २१॥२६१।। कुमर वचन लग सांभली, विस्मि प्राम्यु ते वली । रतन चूल प्रागवि, घावोसुकरीए ॥२२॥२६२।। वचन सुणी तब मन रली, मुझ लेई जाउ खग वली । वैरी जीपी मृगांक राज देउ ए । सहीए ।॥२३॥२६३॥ तव भाणेज णिक देई, जय लक्ष्मी तबहु लेह । प्रापणि नगर वेगि पारसुए । सहीए ।।२१।२६४।। श्रेणि पर्वत फुण भेदि, दुय विरि कुण छेदि । बलवंत साथि बालक कुण मडिए । सहीए ।।२।।२६५।। श्रेणिक राइ म कहि काल जीव धणा हि । एक सघ शबद गजवा सि वगाए । सहीए ।।२६।।२६६।। एक गरूड बहू अहिदलि, एक जीव संमति रलि । एक एक केबली लोक सहू देखिए । सहीए ।।२।२६७।। एक प्रगनि वन सहू दहि, एक जीव दुख सहि । एक जीव मुगति रमिए । सहीए ॥२८॥२६८।।

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