Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 334
________________ जम्बूस्वामी रास हस्त मेलापफ तिहां हँउ, हउ छि जय जय कार रे । ज्यारि कन्या तिहां परणीज, जिनदास तणु कुमार रे ।।१०।।४०७।। दूहा–च्यार कन्या तिहां परणीउ, बिह श्रेष्ठीनी ताम् । हरष धरी हीयडि धणउ, बोलि ते गुण ग्राम ॥११॥४०८।। ढाल बीजी बोवाउलानी घ्यार कन्या लिणी घार, परणीड जंबूकुमार । सुसरि प्रापी परिधि, पामीउ प्रति घणी सिधि ॥१॥४०॥ पापीयां माणक मोती, कमक प्रवासी संजोती। रयणामि हार दीनार, पापीयां सोवन सार ॥२॥४१०॥ बाजूबंध बिरखी प्राप्या, रयण संघासन पाप्या। सासुए वर वषाव्यु इणी परि, बहू Fव्य लाव्यु ॥३॥४१॥ सुसरि पाप्यु भंडार, अपप्सु सार शृगार । अति धण संतोषीए, बोलिय गुण ग्राम तेह ॥४॥४१२।। जमण जमि मनोहार खाजां लाड्य सार । विविध प्रकार पकवान, जमणमि घणि मान ।।५।।४१३॥ बहुबर दीधी पासीस, जीव जे कोडि बरीस । उच्छव उहित प्रपार, वाजिभ बांजता सार ।।६॥४१४।। दिवसह पश्चिम भाग, चालीउ जाणीय माग । श्यार कन्या तब लेई, भाव्यु मंदिर सोर ॥७॥४१।। मंदिर मंच ताम, बिछड ते तिणि ठाम । धरी मन हरष मानंद, बांध्यु घरमनु कंद ||८||४१६॥ दहा-तिणि अबर प्रस्ताचल, प्रस्तज पाभ्यु सूर । धकारि सहू व्यापीउ, कोह नवि दीसि भूर ॥११४१७॥

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