Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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भविष्यदत्त चौपई
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लेना लेर सु मंत्री गयो , धनदति बणिस्यौ चिनको । च्याह तणा होई मंगलबार , कन्या बर नो बनौ बहुत सिगार ॥५॥
मडप बेदी कर विकास , कनक कलस मेल्हा सहपासि । वर कन्या ने भयो सनान , घोवा बदन फोकल पान ||५४।।
मई नफोरी नाद निसाण , बंदी जन बहु कर बखाण । धनपति ध्याहु पहृतो जहां , कबीर सरूप थानक तहां ।।५।। चौरी मांझि विप्र प्राइयो , लगन महरत सुभ साथियो । कन्या वर का जोड्या हाथ , मेल्हा पान सुपारी काय ||५६॥
भावारि चारि फिरायो सुभ साहु, अग्नि साखि दे भयो विवाहु । घनदत्त देवदाईशी घणी, हाथ छुडायो पुत्री तगी ।।५।।
भयो ब्याहु बहु मंगलवार , दान मान जोणार सुचार । जानी सहु संतोषिया समान , बस्त्र पटंबर फोफल पान १५८॥ साथि सरूपा घनपति ले, प्रायो धरि दान छह देव । सुख पायो बहु पानंद भयो , कमलश्ची ने बीसरि गयो ॥५६।।
भोगवि भोग देव समान , भोजन बस्त्र सुपारी पान ।
सुख सेथी के दिन गयो , गभं सरूपर ओगे रह्यो ।।६।। बन्धुवत्त का जन्म
जब पुरा हुवा नवमास , भयो पुत्र प्रति कर विकास । बालक जन्म महोछो कीयो , बहुत दान बंदी जन दीयों ॥६१1
कीयो महोछौ जिणवर थान , देव सास्त्र गुर दीन्ही मान । गीत नाद अति मंगलवार , बंधुदत्त तमु नाम कुमार ।। ६२।।
अन्न पान रस पोखे बाल , गुण चतुराइ बहुत विसाल । बालक पंडित प्रागे पढियो, गुरू को गुणाह प्रति पढियो ॥६३॥
साथि मित्री बदत्त कुमार , मन क्रीडा करि बात विचारि । बोल्यो मिश्र सेठ का नेद , मित्र मनोहर मनि प्रानंद ।।६४।।