Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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जीवन परिचय एव मूल्यांकन
२८७
राजा की सहायतार्थ
जम्बूस्वामी रास का नायक है जम्बूकुमार जो राजगुड़ी के नगर सेट श्र दास का पुत्र है । जम्बूकुमार के जीवन में वीररस, शृंगार एवं शान्त रस का समावेश है । वह बचपन में ही महाराजा श्रमिक के उन्मत हाथी को सहज ही वश में कर लेता है । १५-१६ वर्ष की आयु में वह सेना लेकर केरल के जाता है और उसमें अपनी अपूर्व वीरता से विजय प्राप्त कर लेता है। एक भोर विद्याधरों की सेना दूसरी ओर जम्बूकुमार की सेना । दोनों में घनघोर युद्ध होता है । स्वयं जम्बूकुमार विभिन्न प्रकार के शस्त्रों का प्रयोग करता है। और प्रन्त में में युद्ध बिजय प्राप्त करता है। वह वीर हैं और किसी भी शत्रु को हराने में समर्थ है । जम्बूकुमार का जीवन श्रृंगार रस से भी प्रोत-प्रोत है। बचपन में वह बसन्तोत्सव मनाने के लिए नगर के बाहर उद्यान में जाता है और वहाँ बसन्तोत्सव का आनन्द लेता है । है । वराय लेने से पूर्व अपने माता पिता के अनुरोध पर चार कन्याओं से विवाह बंधन में वक्त है। सुहाको नया थी स्वर्ग सुन्दरियां थी जो विभिन्न हाव-भाव मे एवं अपने तर्कों से जम्बूकुमार से गृहस्थ जीवन परिपालन प्राग्रह करती है ।" सभी पत्तियां एक एक करके जम्बुकुमार से विभिन्न दृष्टान्तों से गृहस्थ जीवन की उपयोगिता पर प्रकाश डालती हैं तो जो भविष्य के सुख का त्याग करते हैं वह उनकी दृष्टि में प्रशंसनीय कार्य नहीं है । २ जम्बूकुमार एक एक पत्नी की अपने अकारण प्रमाणों में निरूत्तर कर देता है। इसी बीच उसे विद्युच्चोर मिलता है । वह भी जम्दूकुमार को वैराग्य लेने में सहायक बनता है ।
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१.
२.
३.
कामाकुल ते कामिनी करि ते विविध प्रकार देवाडि प्रापणां बली वली जम्बूकुमार
गीत गान गाहे करी, कुमर
उपाई र
२०५
निस्पल फल मूकी करी जे
फल वटि धन्य ।
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मुख कां नवि लही, चितवि प्रावणि मन ॥ ३ ॥ १३० ॥ मनरलीय भमी उत्तर दक्षण पूरब पश्चिम ए दिश ए । करणाट सिल द्वीप केरल देश चीणक ए दिशि । कुंतल देस विदर्भ जनपद सह्य पर्वत प्रामी ॥१॥ भसपच पाटण ग्रहीर कुंकण देश कछियावीउ । सौराष्ट देसि किष्कंध नगरी गिरनार पर्वत भावीउ ||