Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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जोवन परिचय एवं मूल्यांकन काम रूप देखी भलु, विस्मय प्रामी नार ।
धन जननी धन ए पिता, जे घर एह कुमार ॥१३।। इसके पश्चात् रत्नचूल विद्याधर ने जम्बूकुमार को एवं राजा अंगिक को मपने यहां प्रामंत्रित किया। राजा श्रेणिक ने जंबूकुमार की खूब प्रशंसा की तथा उसका सम्पान किया । खेचर पुत्री के साथ विवाह होने पर अंगिक एवं जम्बूकुमार दोनों ही वहां से लौट गये और विध्यांचल पार करके स्वदेश आ गये 1 मार्ग में उन्हें सुधर्माचार्य के दर्शन हुये । श्रेणिक एवं जम्बूकुमार दोनों ही उनके चरणों में वैट गये । तत्वोपदेश सुना रान्त में गना ने '-II पूजा । सुदर्भागार्य ने उसके पूर्व भव का पूरा चित्र उसके सामने रख दिया। उससे 'जम्बूकुमार को वैराग्य हो गया लेकिन सुधर्माचार्य ने घर पर जाकर प्राज्ञा लेने की बात कही।
जम्मू कुमार ने माता-पिता के सामने जब वैराग्य लेने का प्रस्ताव रखा तो वे दोनों ही मूच्छित हो गये ।' जम्बूकुमार को बहुत समझाया गया । स्वर्ग सुख के समान घर को छोड़ने के विचार का परित्याग करने को कहा। लेकिन जम्बू कुमार ने किसी को नहीं सुनी। चार कन्याओं को जम्बुकुमार के निश्चय की सूचना दी गयी तो वे भी बिलाप करने लगी । अन्त में यह तय हया कि जम्बुकुमार चारों कन्याओं के साथ विवाह करेगा तथा एक-एक दिन में घर में रह कर फिर दीक्षा ग्रहण करेगा ।
जम्बूकुमार के विवाह की जोरदार तयारी की गयी । बजे बजे । गीत गाये गये । बन्दी जनों ने प्रशंसा गीत गाये। जम्बुकुमार चंचल घोड़े पर सवार होकर
-- -- - १. बचन सुणी मुगिति हुई, नाम्बी वाय ते विदी थई ।
रूदन करि दुख आणि घणउ, पुत्र प्रसंसि माता सुणउ ।। एक रात्रि एक दिवस परणानि वली एह । ब्रह्म समीपि तु रहितु, नषि शांहि गेह ।।१७।। वचन सुणी कन्या तणां, कन्या नावलि नात । प्रहदास घिर पाबीया, कुमर प्रति कहि बात ॥१८।। एक दिवस परणी करी, घिर रहु एक दिन | पछि दीक्षा लेय जो, जु तुह्म हुई मन ।.१६