Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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भविष्यदत्त चौपई
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सजन लोग बहु संतोषिया, दुर्जन का मन काला भया। दिया संबोल सेठ बहु भाइ, कामणि गीत वधावा गाइ ॥३६७।।
चाल्या था जे वाण्या साथि, कमलश्री तसु घुझे बात । बंधुदत्त को बहु डरं कर, समाचार नवि को उचर ॥३६८।।
कमली का पुनः प्रायिका के पास जाना
कमलथी मनि भयो गुमान, गव बेगि जिका के धानि । नेत्र असरपात बहु कर, पुत्र विजोग दुख प्रति करे ।।३६॥
नमसकार करि बुझ बात, पुत्र हमागे न पायो मात । राम देह अधिक अकुलाइ, समाचार कोन कहै माय ।।३७०।।
अजिफा होली मूणि सूदरि, बेटा को तू ना हर करी । मुनिवर अवधि दिवस जो कही, पुत्र तुम्हारी माती सही ॥७॥
पछिम दिस जे उगे भाण, मुनिवर भूट न कर बखांग । कर्म जोगी परबत पणि फिर, मुनिवर मुख अठन नीस ॥३७२।।
अजिका बचन ब्रह्यो संतोष, जैसो मुनिवर पायो मोख । सुणी बात जे अर्जिका कही, कमलश्री निज थानकि गई ॥३७३।।
बंधूदत्त मिलिबा पाइयो, कमलश्री का पद वंदियो । कुसल नेम सहु बुझी सार, जैसो पुत्र मात व्यौहार ।।३७४।।
कमलश्री बुझ ये मान, भवसदत्त छाडिउ कहि धान 1 समाचार सूत साचा भाँ, जिम संसौ भार्ज मन तणो ।।३७५||
बंधुदत्त बोल्यो सुणि भाइ, कुसल क्षेम तिष्टं तहि यार । धन संपति तहि बहुली सही, बेगो तुमसे मिलसी सही ॥३७६ ।। हमने जैसी देखो इहां, तसो मुत ने जांणौ तहां । कमलभी सुणि बहु सुख भयो, बंधुदत्त निज मन्दिर गमौ ॥३७७।।