Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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महाकवि ब्रह्म रायमल्ल वर्णन किया है उससे पता चलता है कि नगर में चारों ओर बन उपयन थे । श्रावकों की संख्या नगर में विशेष थी। वैसे वहाँ सभी जातियों के लोग रहते थे । नगर का राजा चौहान जाति का था जो उदार एवं कुशल शासक था तथा सभी धर्मों का आदर करता था।
संवत् 1815 से पूर्व पाहाग मिषत टोमास गिजामा मन प्रोग में ही स्थित हैं । इससे भी पता चलता है कि उस समय तक यह प्रदेश जैन धर्मावलम्बियों का प्रमुख क्षेत्र था । धौलपुर
घोलपुर पहिले राजस्थान की एक छोटी जाट रियासत थी। वर्तमान में यह मवाई माधोपुर का उपजिला है। धौलपुर राजस्थान एवं मध्यप्रदेश का सीमावर्ती प्रदेश है । वैसे धौलपुर का प्राचीन इतिहास रहा है। 8 वीं शताब्दि से 17 वीं मताब्दि तसा यहाँ चौहान एवं तोमर राजपूतों का शासन रहा। कुछ समय के लिए सिकन्दर लोदी ने इस क्षेत्र को अपने राज्य में मिला लिया । खानुप्रा की लड़ाई के पश्चात् यह प्रदेश मुगलों के हाथ में आ गया और उसके पश्चात् मरहठायों ने इस पर अपना अधिकार कर लिया । सन् 1800 में धोनपुर, बाड़ी, राजाखेडा तथा सरमपुरा को मिलाकर एक नयी रियासत को जन्म दिया गया उसे महाराज राना वीरतसिंह को दे दिया गया। उनके पश्चात् मत्स्य प्रदेश निर्माण तक धौलपुर राज्य का शासन उन्हीं के वंशजों के हाथों में रहा ।
धौलपुर जैन धर्म की दृष्टि से भी महत्त्वपूर्ण प्रदेश रहा है। अपभ्रश के महाकवि रइधु का धौलपुर प्रदेश से विशेष सम्बन्ध रहा था और उनका जन्म भी इसी प्रदेश में हुआ था । २ थी जिनहंससूरि (सं. 1524-82) ने धौलपुर में बादशाह को चमत्कार दिखला कर 500 कैदियों को छुड़वाया था ।
संवत् 1629 अथवा इसके पूर्व से ब्रह्म रायमल्ल स्वयं धौलपुर पहुंचे और वहाँ के श्रावक श्राविकानों को साहित्य एवं संस्कृति के प्रति जागरूकता के लिए प्रेरणा दो। ब्रह्म रायमल्ल ने नगर की सुन्दरता का यद्यपि अधिक वर्णन नहीं किया लेकिन जो
१. अहो सोलाह से पन्द्रह रच्योरास................""राशजी मान ।।४।। २. राजस्थान का जन साहित्य, पृ० १५५ । ३. वही, पृ. ६७३