Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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भविष्यदत्त चौपई
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सेट्र एक दिन सेवे तिया , उपनो गर्भ घनेस्वर घिया । उपनउ सुभ होहलो सुचंग , पुजा दान महोछा रंग ॥६॥
भविष्यबल का जन्म
गर्भ मास नव पूरे भयो , कमलथी बालक प्राइयो । पुत्र महोछा धनपति साह , दनि द्रव बहुत उछाह ॥१०॥ महाभिषेक जिनेश्वर पान , दुखी दलिद्री जोगे दान । मुणी बात पायो भूपाल , खरच्यो द्रव्य देखी भूवाल ।।११।। सजन लोग बधाई करी , गावे गीत तिया रसि भरी । घनपति के परि जायो नंद , हस्तनागपुर बहु प्रानंद ।।१२।। मायभगति पूजा मुनिगय . हाय जोडि बूझ सुभाछ । स्वामी बालक काहो नाम , पूर्ज महा मनोरथ काम ॥१३॥
बोल्यो मुनिवर काही विचारि , भविसदंत इहु नाम कुमार । पुन्यवंत इहु होसी वाल , दुर्जन दुष्ट तणो सिरिसाल ॥१४।। बंद्या मुनिबर घरि अाझ्या , मात पिता ने बहु सुख भया । अन पान रस पोखे बाल , द्वज चंद्र जिम बधे विसाल ॥१५॥
वालक बरस मात को भयो , पडित माग पठणो दीपो । कीया महोछा जिणवरि थानि , सजन जन बहु दीन्हा दान ॥१६॥
गुर को विनो अधिक बहु कर , मति सबुधि अधिक विसतर। घणा सास्त्र का जाण्या भेद , मानव बंध कर्म को छेद ॥१७॥
कमलश्री का परित्याग
एक दिबस कर्म को भाइ , उपनो क्रोध सेट प्रकुलाइ । कमलश्रीस्यों विनय भाव , मेरा घर थे वे गिउ जाउ ॥१८|| बार बार तुम से थी कहूं . तुमने दीठा सुख न लहूं । घी कहा करिजे मलाप , पूरबलों को प्रायो पाप ॥१६॥