Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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महाकवि ब्रह्म रायमल्ल
का ध्यान प्राया । और बह तत्काल अपनी आठ हजार रागियों तथा आठ हजार सेना घोड़ें, हाथी रथ आदि के साथ वह उज्जयिनी पहुंचा।
उघर मैनासुन्दरी अपने प्रियतम की प्रतीक्षा कर रही थी। उसने एक एक दिन गिन कर बारह वर्ष व्यतीत किये थे। और जब श्रीपाल को अवधि समाप्त होने पर भी आता हुआ नहीं देखा तो उसने अपनी सास से सब संकल्प विकल्प छोड़ कर प्रातः आर्यिका दीक्षा लेने की बात कही । सास ने दस दिन तक और प्रतीक्षा करने के लिपे कहा । दस दिन मनार होने केही कविसमार श्रीवाल की पहुंच गया। सबसे पहिले उसने माता के चरणा छुए और फिर मैनासुन्दरी ने श्रीपाल की वन्दना की । बारह वर्षों की घटनामों की जानकारी श्रीपाब ने अपनी माता एवं पत्नी को दी । तत्काल वह माता कौर मंना को अपने सैन्यदल में ले गया और बारह वर्ष में जिन जिन वस्तुओं की उपलब्धि हुई थी उन्हें दिखायी।
श्रीपाल ने अपना एक दूत उपिनों के राजा के पास उसकी अधीनता स्वीकार करने के लिये भेजा तथा "कंघि कुहाडी कंबल प्रोढ कर" भेंट करने के लिए कहा । पहिले तो राजा ने दूत को भला बुरा कहा लेकिन दूत ने जब समझाया तो राजा ने बात मानली और हाथी पर बैठ बह श्रीपाल से मिलने आया। दोनों जब परस्पर मिले तो चारों और अतीव आनन्द छा गया। नगर में विभिन्न उत्सव मनाये गये तथा श्रीपाल' का राजा एवं नागरिकों की ओर से विविध मेंट देकर सम्मान किया गया । श्रीपाल ने उज्जयिनी में कुछ समय व्यतीत किया ।
अन्त उसने अपने देश लौटने का निश्चय किमा । अपने पूर्ण सैन्यदल के साथ वह चम्पा के लिये रवाना हुग्रा और नगर के समीप आकर डेरा डाल दिया। श्रीपाल ने अपना एक दूत वीर दमन राजा के पास भेजा और पुरानी बातों की याद दिलाते हुये अधीनता स्वीकार करने के लिये आदेश दिया। वीरदमन ने दूत की की बार स्वीकार नहीं की और युद्ध के लिए दूत को ललकारा। दोनों की सेनाओं ने युद्ध के लिये प्रयाण किया ।
हो भाटि मानियो रणसंग्राम, प्रायो कोडी भा के ठाम । बात पाश्विी सह कही,
.......... .""हो सिंधूडा वाजिया निसाग | सूर किरणि सूझ नहीं, हो उडो खेह सागी असमान ।।२५७।। हो घोड़ा मूमि खणं सुरताल, हो जारिणकि जलटिन मेघ प्रकास रथ हस्ती बहु साखती हो वह पक्ष को सेना चली। सुभग संजोग संभालिया हो अशी बुहं राजा को मिलो ।