Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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महाकवि ब्रह्म रायमल्ल
हटा कर सत् की ओर ले जाना है। यही नहीं मिथ्यात्व के दोषों को बतलाना भी कवि का उद्देश्य रहा है। पाप नगरी एवं पुण्य नगरी के भेद को कधि ने बहुत ही स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत किया है। सामाजिक
राजा महाराजाओं अथवा तीर्थंकरों को कास्य का नायक बना कर उनके गुणानुवाद के अतिरिक्त सामान्य मानव के जीवन को लेकर काय रचना करना जैन कवियों की विशेषता रही है। ये वर्ग विहीन काव्य रचना में विश्वास रखते हैं तथा किसी भी जाति एवं वर्ग में पैदा होने पर भी यह मानव जीवन के उच्चतम ध्येय को प्राप्त कर सकता है इसका दिग्दर्शन कराना जैन कवियों को अभीष्ट रहा है। वैसे तो प्रायः सभी कान्यों में समाज के वातावरण, रीति-रिवाज एवं परम्परानों का वर्णन रहता है, लेकिन कुछ कान्यों में उक्त बातों का विस्तृत वर्णन मिलता है। भविष्यदत्त चौपई, जम्बूस्वामी चौपई जसे काव्य इस शैली की प्रमुख कृतियां हैं। कवि ने इन काव्यों में तत्कालीन सामाजिक व्यवस्था का जो स्पष्ट वर्णन किया हैं जससे यह काव्य अधिक लोकप्रियता प्राप्त कर सके हैं। सामाजिक काव्यों के अतिरिक्त इनको हम जन सामान्य के कान्य भी वह मानते है । जैन कवि प्रत्येक ग्रात्मा में परमात्मा का रूप देखते हैं और प्रत्येक प्रात्मा से इसी परमात्मा पद को प्राप्त करने का प्राह्वान करते हैं ।
विविध
ब्रह्म रायमल्ल ने प्रबन्ध काव्यों के अतिरिक्त कुछ लघु कृतियां भी निबर की थी । ऐसी रचनाओं का विषय एक ही तरह का न होकर विविध है । निदोष सप्तमी कथा में सप्तमी प्रत के महात्म्य का वर्णन है तो चिन्तामणी जयमाल स्तुलि परक है । चन्द्रगुप्त के सोलह स्वप्न घटना परक है तो पंच गुरु की जयमाल पूजा संज्ञक रचना है । कवि ने अपनी लघु रचनाओं को विविध प्राख्यानों से निबद्ध किया है इसलिए सभी ६ लघु कुतियों को हम इस श्रेणी की रचनाओं में रख सकते हैं। भक्ति परक अध्ययन
महाकवि बह्म रायमल्ल का युग भक्तिकाल का चरमोत्कर्ष गुग माना जाता है। सूरदास, मीरा, तुलसीदास जैसे भक्त कवि ब्रह्म रायमल्ल के समकालीन कवि थे। सभी भक्त कवि उस युग में अपनी लेखनी एवं वाणी से जन-जन को राम एवं कृष्ण भक्ति में डुबो रहे थे तथा सगुण भक्ति धारा में प्राप्लावित करके देश में एक नया वातावरण बना रहे थे। उन भक्त कवियों ने उस युग में ऐसा सबल एवं