Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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काव्यों के प्रमुख पात्र
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साथ हो गये लेकिन भविष्यदत्त जब अपनी मुद्रिका वापिस लेने द्वीप में गया तो बन्धुदत्त उस छोड़ कर भागे बढ़ चला । भविष्यदत्त फिर अकेला रह गया । फिर एक देव उसे विमान में बिठा कर हस्तिनापुर ले ग्राया। यहां थाने पर उसने पोदनपुर के राजा को पुद्ध में हरा दिया और इस तरह हस्तिनापुर का राज्य भी उसे मिल गया । वपो तक राज्य सुख भोगने के पश्चात् भविष्यदत्त न मुनि दीक्षा ले ली और अन्त में तपस्या करके निर्माण प्राप्त किया ।
२६. भविष्यानुरूपा- भविष्यदत्त की पत्नी जो तिलक दीप से प्राप्त हुई थी]
२७. बन्धुवस.-भविष्यदत्त की दूसरी माता से उत्पन्न हुअा भाई । बन्धुदत्त मे भविष्यदत्त को दो बार धोखा दिया। उसे हस्तिनापुर के राजा ने देश से निर्वासित कर दिया था।
हनुमन्त कथा २८. प्रहला–प्रादित्यपुर के शासक एवं पदनजय के पिता थे। २६. महेन्द्र-सुमरू की पूर्व की भोर महंत देश का शासक तथा प्रजना का
पिता ।
३०. पवनजय-विद्याधर राजा प्रहलाद का पुत्र एव प्रजना का पति । १४ वर्ष तक अंजना से दूर रहने के पश्चात् जब यह रावण की सहायतार्थ सेना सहित जा रहा था तो चकवी कं विरह को देख कर उन्हें अंगना की याद मा गई और वह अपने साथी के साथ उससे मिलने चल दिया । शत्रु रोना पर विजय के पश्चात् जब वाह वापिस आया तो उस अंजना नहीं मिली अन्त में पर्याप्त खाज के पचात् अंजना हनुमान सहित मिली।
२१. मधुलता-अंजना की सहेली एवं दासी ।
३२. राबण-लंका का स्वामी तथा राक्षसों का अधिपति । अनेक विधानों का धारक । सीता का हरण करने के कारण राम के साथ युद्ध हुआ जिसमें वह नसण द्वारा मृत्यु को प्राप्त हुआ।
१. रहत तहा के दिन गया, बंधूदत्त प्रोहण पाहगा।
दमडौ एक न पूजी रयो, पाप जोग सगलो बोयो । २३॥ फाटा वस्त्र प्रति बुरा हाल, दुबल अस्ति उतरी स्वाल ।