Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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प्रदेश, ग्राम, नगर वर्णन
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पुराण एवं काध्य साहित्य में इस प्रदेण का खूब उल्लेख मिलता है । प्राचार्य समंतभद्र में मालवा के विवानों को शास्त्रार्थ के लिए ललकारा था । भट्टारक ज्ञानभूरण ने मालव जन पद के थावकों को सम्बोधित किया था। श्रीपाल मालव देश का राजा या। उज्जयिनी
उज्जयिनी नगरी संकों वर्षों तक मालव जन पद की राजधानी रही 1 जैन साहित्य एवं इतिहास में इस नगरी का नाम सदैव ही प्रमुख रूप से लिया जाता रहा । भगवान महावीर ने इसी नगरी के अतिमुक्तक श्मशान में रूद्र द्वारा किये गये घोर उपसर्ग पर विजय प्राप्त की थी। नागमों एवं अन्य साहित्य में उज्जयिनी से सम्बन्धित अनेक कथाएँ मिलती है । श्रीपाल राजा की रानपानी कलांग की गयी। चन्द्रगुप्त के शासनकाल में उज्जयिनी उसके राज्य का अंग थी तथा इस नगरी से भद्रबाहु के शिष्य विशाखाचार्य अपने संघ के साथ प्रयाग गये थे। भट्टारकों की भी यह नगरी केन्द्र रही थी । संवत् १६६६ में विष्णुकवि ने भविष्यदत्त चौपई की यहीं रचना की थी। रत्नद्वीप
श्रीपाल एवं भविष्यदत्त अपने समय में दोनों ही वहां व्यापार के लिये गये थे। यह कोई दक्षिण दिशा का छोटा द्वीप मालूम पड़ता है ।
अंगदेश एवं चम्पानगरी
अंगदेश एक जन पद था । चम्पा नगरी इराकी राजधानी थी। यह प्रार्य क्षेत्र में माता था और प्रायों के २५३ अनपदों में इसका प्रमुग्न स्थान था । श्रीपाल रास में अंगदेश एवं उपकी राजधानी चम्पा का निम्न प्रकार उल्लेख किया है
हा सुणि कोडीभड कर बलाग, अंगदेस चम्पापुरि थान । तासु धिरय राजइ. हो कुवापर तस तीया सुजाणि । तासु पुत्र सिरीपाल हा हो वचन हमारा जाणि प्रमाणि ॥११२॥
८. राजस्थान के जैन संत-डा० कासलीवाल, पृ. ४० । ६. संपतु सोरहस हूं गई, अधिकी तापर छासठि भई ।
पुरी उज्जैनी कविनि को दासु, विष्णु तहां करि रह्यो निवासु ।।