Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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काव्यों के प्रमुख पात्र
१११ ८. नारद -सभी क्षेत्रों एवं तीर्थों में भ्रमण करने वाले ऋषि । सत्यभामा के अमिमान को खण्डित करने के लिए श्रीकृष्ण को रुक्मिणी से विवाह करने के लिये प्रोत्साहित किया । प्रद्य म्न के अपहरण होने पर रुक्मिणी को धर्य बंधाया । कालसंबर को एवं श्रीकृष्ण शुर। के शा५ पु हाने ३: साविक ने परिचित करा कर युद्ध को टालने में सफलता प्राप्न की।
६. सक्मिणी--कुण्डलपुर के भीम राजा की रूपनावण्य युक्त पुत्री थी। श्रीकृष्ण ने इसका हरण करके विवाह किया था । प्रद्युम्न इसका पुत्र वा । राज्य सुख भोगने के पश्चात् नायिका दीक्षा ग्रहण कर स्वर्ग प्राप्त किया।
१.. भीष्मराज -कुण्डलपुर के राजा एवं रुक्मिणी के पिता ।
११. शिशुपाल – पाटलीपुत्र का राजा था। पहले फक्मिणी का विवाह इसी से निश्चित हुआ था । लेकिन श्रीकृष्ण द्वारा हर लिये जाने पर दोनों में युद्ध हुप्रा और अन्त में श्रीकृष्ण के हाथों मारा गया ।
१२. कालसंवर - विद्याधर राजा या । शिला तसे दबे हुये प्रद्युम्न को उठाकर उसे १६ वर्ष तक अपने यहां रखा था। प्रद्युम्न के साथ युद्ध में कालसंवर पराजित हुआ।
१३. कंचनमाला - कालसंवर की स्त्री थी । प्रारम्भ में प्रद्युम्न को उसी ने पाल-पोष कर बड़ा किया।
१४. श्रीकृष्ण-नव नारायणों में एक नारायण थे। रुक्मिणी को हर कर ले पाये और उसके साथ विवाह कर लिया। प्रद्युम्न इन्हीं का पुत्र या । तीर्थर नेमिनाथ के ये चचेरे भाई थे ।
१५. सत्यभामा-श्री कृष्ण की पत्नी । १६. धूमकेतु-प्रद्युम्न का पूर्वअन्म का शत्रु ।
मेमीश्वररास १७. समुदविनय नेमिनाथ के पिता थे। इन्होंने गिरनार पर्वत से मोक्ष प्राप्त किया।