Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur
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क्षणिक
ज्योतिषि
सास
प्रद्य ुम्न
पृथ्वी
स्वर्गं
भाषा की दृष्टि से
बाण्या
जोतिगी
१५. जो सुण्या बचन जे बाया कहा १६. हो लीयो राइ जोतिगी बुलाइ १७. हो सुंदरि बात सालुस्यों कही १८. रास भणौ परदवरण को जी १६. नारद पीरथी सहु फिरीजी २०-२१. सुगं अपरा सारिखी जी २२. हो रुपि बहरण जे होह कंवारी २३. हो दरजोधत घरि लेख पठायो २४ विद्या भुज्भ कियो घणो जी
सासु
परदेव
पोरथी १७
सुगं
अपरा
बहरण २३
15
अप्सरा
बहिन
चुपके
ध्यानं ३ प्र
दुर्योधन
दरजोधन 24
युद्ध
भुज्झ
+
करण कारक में 'से' के स्थान 'स्यों' का प्रयोग किया गया है तथा हमस्यौ कलत्रस्यो, कंतस्यों, बहुस्तो, गुरुस्यों श्रादि का प्रयोग कवि को अधिक प्रिय रहा है 1 संख्या वाचक शब्दों में पहली, दूजा, तीजा, चौषा जैसे शब्द प्रयोग में प्राये है ।
कवि ने अपने काव्यों में कुछ ठेठ राजस्वानी शब्दों का प्रयोग किया है जिससे काव्य रचना में एवं शब्दों के चयन में स्वाभाविकता आयी है । कुछ शब्द निम्न प्रकार है
१. सवासिणी - राजस्थान में इस शब्द का दूल्हा दुल्हन की विवाहित बहिन
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श्रीपालराम १४६
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प्रद्य ुम्न रास १
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