Book Title: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth
Author(s): Nathmal Tatia, Dev Kothari
Publisher: Kesarimalji Surana Abhinandan Granth Prakashan Samiti
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सन्देश
-शभकामना
२६ यशपाल जैन
सस्ता साहित्य मंडल, कनाट सर्कस, नई दिल्ली
दि०१-६-८० शिक्षा के क्षेत्र में आज विविध प्रयोग हो रहे हैं। लेकिन भारत की स्वतंत्रता के ३३ वर्ष बाद भी शिक्षा में भारतीयकरण का अभाव दिखाई दे रहा है । इस दृष्टि से राजस्थान की पुनीत भूमि राणावास में श्री केमरीमलजी सुराणा के द्वारा शिक्षा की बहुमुखी प्रवृत्तियों के साथ युवापीढ़ी में आध्यात्मिक एवं नैतिक संस्कारों के आविर्भाव का जो प्रयत्न किया जा रहा है, वह अभिनन्दनीय है। ..
राणावास जैसे छोटे से ग्राम को शिक्षण की विभिन्न इकाइयों से सुयोजित कर विद्याभूमि के रूप में प्रतिष्ठित कर दिया है। इसका सर्वाधिक श्रेय त्याग और साधना के धनी श्री केसरीमलजी सुराणा को है। उनके अभिनन्दन के इस सुअवसर पर मेरी ओर से हार्दिक शुभकामना अर्पित हैं। मुझे विश्वास है, उनका अभिनन्दन समाज की धार्मिक तथा नैतिक परम्परा को आगे बढ़ाने में सहायक होगा।
—यशपाल जैन
३०
देवेन्द्र सत्यार्थी
५/सी/४६ न्यू रोहतक रोड
नई दिल्ली
दि० ३१-१०-८० राजस्थान में कर्मयोगी श्री केसरीमलजी द्वारा राणावास में स्थापित शिक्षा-संस्थान, जहां गत पांच साल से कॉलिज भी चल रहा है, एक दिन विश्वविद्यालय के स्तर तक भी विकसित हो सकता है।
हमारे देश को हमारे शिक्षा-संस्थान ही विवेकशील दिशा-बोध में सहायक हो सकते हैं।
राजस्थान का लोक साहित्य महान है । मैंने अपनी लोकयान यात्रा के दौरान राजस्थान से बहुत कुछ सीखा।
"फोक-लोर" के लिए "लोकयौन" शब्द प्रचलन होना चाहिये----“महायान और हीनयान' की शैली में यदि आप का संस्थान "लोकयान' को मान्यता दे सके तो यह एक महान कार्य होगा।
-देवेन्द्र सत्यार्थी ३१ जयप्रकाश भारती संपादक-नन्दन
हिन्दुस्तान टाइम्स हाउस, १८-२० कस्तूरबा गांधी मार्ग
नई दिल्ली
८ जुलाई, १९८० यह जानकर प्रसन्नता हुई कि जैन श्वेताम्बर तेरापंथी मानव हितकारी संघ ने केसरीमलजी सुराणा का अभिनन्दन करने का निश्चय किया है । शिक्षा के प्रचार-प्रसार का कार्य बड़ा महत्वपूर्ण है और ज्ञान का प्रचार ही सही अर्थों में रचनात्मक सेवा है । सुराणाजी ने बड़ी निष्ठा के साथ लम्बे समय तक इस कार्य को किया है। उनका अभिनन्दन होना ही चाहिये । कर्मयोगी सुराणाजी को मेरी हार्दिक बधाई और नमन ।
-जयप्रकाश भारती
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