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कर्म अपना फल कैसे देते हैं ? २७१
७. राकेट (प्रक्षेपणास्त्र) -यह मिसायल सरीखा यंत्र होता है, जिससे हवाई जहाज
मार गिराए जाते हैं। आजकल तो ऐसे भी राकेट यंत्रों का निर्माण हो गया है, जो शत्रु के गुप्त अड्डों का पता लगाकर उन गुप्त अड्डों के फोटो लेकर वापस स्वयमेव वहीं आ जाता है, जहाँ से चला था। कितनी विलक्षण शक्ति है जड़ पुद्गल
परमाणुओं में या उनसे निर्मित यंत्रों या पदार्थों में? ८. मिसाइल-यह स्वयंचालित (ओटोमैटिक) यंत्र है। यह कई किस्म का होता है।
जैसे-(१) टैंकों को तोड़ने वाला, (२) वायुयान को नष्ट करने वाला और (३) दूसरी मिसाइल को रोकने वाला। मिसाइलों में कोई चालक नहीं होता, यह यंत्र स्वयं ही चलता है। टैंकों को तोड़ने वाला मिसाइल, उनकी समस्त शक्तियों को छिन्न-भिन्न कर डालता है। वायुयानों को नष्ट करने वाले मिसाइल विशेष अड्डे से छोड़े जाते हैं और अमुक स्थान विशेष तक मार करते हैं।' कई मिसाइल तो ऐसे होते हैं जो हजार माइल दूर तक जाकर जहाज को मार गिराते हैं। ऐसे मिसाइल वायुयान का पीछा करते हैं, जिधर को वह मुड़ता है, मिसाइल भी उधर ही मुड़ जाता है और जहाज की दिशा में पहुंचकर
आखिरकार उसे गिराकर ही दम लेता है। ये मिसाइल एटम (परमाणु) से चलते हैं। परमाणुशक्ति (एटमिक एनर्जी) इसका संचालन करती है। ऐसे मिसाइल भी होते हैं, जो शत्रु के मिसाइल को रोकते हैं। अगर किसी शत्रु ने किसी वायुयान के पीछे मिसाइल छोड़ दिया, ऐसी स्थिति में वायुयान वाले उस मिसाइल को रोकने और उसे नष्ट करने के लिए उस मिसाइल के पीछे अपनी
ओर से एक और मिसाइल छोड़ देते हैं। वह मिसाइल शत्रु के मिसाइल का पीछा
करता है और अन्त में, उसे समाप्त कर देता है। ९. एपोलो-अमेरिका के द्वारा आविष्कृत इस यंत्र ने संसार को आश्चर्यचकित कर
दिया है। इसने चन्द्रलोक की यात्रा करके वहाँ से मिट्टी खोदकर लाने का अपूर्व कार्य किया है, ऐसा वहाँ के वैज्ञानिकों का कथन है। एपोलो यंत्र पारमाणविक (एटमिक) ईधन से चलता है। यह लगभग मालगाड़ी जितना लम्बा है। इसमें लगभग ७५ लाख छोटे-बड़े कलपुर्जे होते हैं। इसकी ऊँचाई तीन मंजिल जितनी होती है। इसमें १0 व्यक्तियों के लेटने और सोने की जगह होती है। एपोलो का जहाँ निर्माण होता है, वहाँ लगभग २00 कारखाने काम करते हैं। इसके निर्माण में छोटे-बड़े लगभग एक लाख वैज्ञानिक लगते हैं।
१. ज्ञान का अमृत से भावांश ग्रहण, पृ. ४९
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