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कर्म अपना फल कैसे देते हैं ?
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जैसा कार्यक्रम प्रस्तुत करते हैं, जैसे बोलते, नाचते, गाते हैं, जैसा अभिनय करते हैं, जिस तरह बातें करते हैं, वह ज्यों का त्यों टेलीविजन में दृष्टिगोचर होता है। टी.वी. (के पर्दे ) पर चलचित्र की फिल्में भी दिखाई जाती हैं।'
. इनसे परमाणुओं में अवस्थित अद्भुत शक्तियों के चमत्कारों का बड़ी सफलता के साथ परिचय प्राप्त हो जाता है। कितनी विचित्र बात है कि हाथ लगाए बिना ही बिजली के बल्ब और पंखे को आज्ञा देते ही जगमगा उठता है तथा पानी का नल भी सम्मुख आते ही पानी नीचे गिराने लगता है। जब हाथों के स्पर्श बिना ही केवल जीभ से उच्चारण किये हुए भाषा के परमाणुओं के प्रभाव से बिजली का पंखा चल पड़ता है, अथवा बल्ब प्रकाशमान हो उठता है, तब आत्मा पर लगे हुए या लगने वाले कर्म-पुद्गलपरमाणु प्राणि जीवन में किसी भी प्रकार की उथल-पुथल कर दें, या जीव के अध्यवसाय के अनुसार कभी सुखी और कभी दुःखी बना दें, इसमें आश्चर्य ही क्या है ? ऐसा भी नहीं है कि बल्ब और पंखे का स्वयं जलने और स्वयं चल पड़ने के पीछे कोई अदृश्य (परोक्ष) शक्ति काम कर रही है, किन्तु मुख से निकलने वाले भाषा के परमाणुओं का ही बिजली के बल्ब पर या पानी के नल पर अव्यक्त रूप से ऐसा प्रभाव पड़ता है कि बल्ब जल उठता है, पानी नल से चलने (गिरने) लगता है।
इनके अतिरिक्त परमाणु शक्ति के आज तो और भी नये-नये चमत्कारपूर्ण आविष्कार देखे-सुने जाते हैं, जिन्हें जानकर कोई भी यह नहीं कह सकता कि कर्मपरमाणुओं में जीव को कृतकर्मानुसार फल देने की शक्ति नहीं है। इन आविष्कारों में कतिपय चमत्कारपूर्ण आविष्कार ये हैं
१. टेलीप्रिंटर - टेलीग्राफ और टेलीफोन के आविष्कार तो अब बहुत पुराने हो चुके हैं। टेलीप्रिंटर जैसे एक विलक्षण यंत्र का भी आविष्कार हो चुका है जो दुनिया में घटित विशिष्ट घटनाओं की सूचना देता है। एक स्थान पर एक मनुष्य बोलता है, तो दूसरे स्थान पर यह यंत्र स्वतः (आटोमैटिक) उसे टाइप करता जाता है, जिसे दैनिक समाचारपत्र के सम्पादक अपने पत्र में छाप देते हैं।
२. बेरोमीटर - थर्मामीटर जैसे शरीर का तापमापक यंत्र होता है, वह जड़ पारे के कारण शरीर से स्पर्श करते ही उसकी गर्मी अंकित कर देता है, लेकिन बेरोमीटर मौसम की सूचना देता है। वह जहाँ भी लगा दिया जाता है, वहाँ के पारिपार्श्विक वातावरण में सर्दी, गर्मी, हवा, आंधी, तूफान, वर्षा आदि की सूचना स्वतः अंकित कर देता है। यह जड़ की शक्ति का अद्भुत नमूना है। तीन
१. ज्ञान का अमृत से सारांश साभार उद्धृत, पृ. ४५-४६
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