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२७२ कर्म-विज्ञान : भाग-२ : कर्मफल के विविध आयाम (५) .
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इसमें एटमिक (परमाणविक) ईंधन से चलने वाले लगभग ७ इंजन होते हैं। चलते समय इसकी गति धीमी होती है, परन्तु जब ये भूमि के आकर्षण क्षेत्र से बाहर निकल जाते हैं तो इनकी गति अत्यन्त तेज हो जाती है, और वापस जब ये भूमि पर उतरते हैं तो इनकी गति और भी तीव्र हो जाती है। वैज्ञानिकों के कथनानुसार जिस एपोलो ने चन्द्रमा पर चन्द्रपालकी को उतारा था, वह चन्द्रमा की धरती से लगभग १0 मील ऊपर चक्कर लगाता था। इस एपोलो में तीन व्यक्ति बैठे थे। इनमें से दो को नीचे (पृथ्वी) से आदेश मिला कि आप चन्द्रपालकी में चले जाएँ। तदनुसार उनके चन्द्रपालकी में चले जाने पर चन्द्रपालकी को निर्धारित समय पर एपोलो से अलग कर दिया गया। और वे दोनों व्यक्ति चन्द्रमा की धरती पर उतर आए। चन्द्रपालकी रात को १ बजे वहाँ उतरी थी, उस समय वहाँ घोर अन्धकार था, किन्तु पालकी की रोशनी के कारण वहाँ अंधेरा नहीं रहा। उसके प्रकाश में वे दोनों व्यक्ति पालकी से नीचे उतरे, चन्द्रमा की धरती से उन्होंने मिट्टी ली, पत्थरों से अपनी जेबें भरीं। चन्द्रपालकी को लगभग २00 गज दूर छोड़कर वे लोग वहाँ भ्रमण करते रहे। अन्त में, वे पुनः पालकी में आ गए। तदनन्तर पालकी ऊपर उठी और ऊपर घूमने वाले एपोलो (राकेट) से जुड़ गई। वैज्ञानिकों का कहना है कि ऊपर से तीनों व्यक्तियों ने जब अपने पेट में दर्द होने की सूचना दी तो उन्हें नीचे (भूतल) से सूचना दी गई कि हम इसकी छानबीन करते हैं। फिर उन्होंने पता लगाया कि एपोलो इस समय अमुक वायुमण्डल में है,' इस कारण उनके शरीर पर ऐसा प्रभाव हो सकता है। अतः उन्होंने एपोलो-स्थित व्यक्तियों को सूचित किया कि आप लोग अमुक दवा का सेवन करें, इससे आपका पेट-दर्द मिट जाएगा। इस सूचनानुसार उन तीनों ने उक्त दवा का सेवन किया, जिससे उनका पेट दर्द मिट गया। वे स्वस्थ हो गए। कितनी विलक्षण बात है कि इस भूतल पर बैठे हुए वैज्ञानिकगण इस पृथ्वी के आकर्षण क्षेत्र से बाहर एपोलो पर, उसके साथ जुड़ी हुई चन्द्रपालकी पर, तथा चन्द्रपालकी में अवस्थित मनुष्यों की गतिविधि पर पूर्णतया नियंत्रण रख रहे हैं और अपने संकेत के अनुसार उसे चला रहे हैं। उनकी एक-एक क्षण की गतिविधि से वे सवगत हैं। यह सब परमाण शक्तियों के अनुपम चमत्कारों का जीता-जागता निदर्शन है। इन सबमें किसी भी देवी-देव या ईश्वर का कोई भी हस्तक्षेप नहीं है।
१. ज्ञान का अमृत से साभार उद्धृत पृ. ५१-५२
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