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कर्म-महावृक्ष के सामान्य और विशेष फल ? ३६५
प्रश्न ८. भगवन्! किस पापकर्म के उदय से मनुष्य बहरा होता है ?
उत्तर ८. गौतम! जो मनुष्य ऋषि-मुनियों की तथा महापुरुषों की निन्दा सुनकर मन ही मन प्रसन्न होता है, तथा लुक-छिपकर दूसरे की निन्दा सुनने में रत रहता है, जो मीठा-मीठा बोलकर दूसरे के हृदय का भेद पाने के लिए प्रयत्नशील रहता है तथा धर्मकथा होती हो, तब चालाकी से सो जाता है। ऐसा व्यक्ति उक्त पापकर्म के फलस्वरूप बहरा होता है।
प्रश्न ९. भगवन्! मनुष्य को कुष्ट (कोढ़) रोग किस पापकर्म के कारण हो जाता
उत्तर ९. गौतम! जो मनुष्य मोर, सांप, बिच्छू आदि जीवों को मारता है, तथा लोभवश जंगल में आग लगा देता है, वह मनुष्य मानव देह पाकर भी कोढ़ी हो जाता है, उसके रोम-रोम में कीड़े पड़ जाते हैं।'
प्रश्न १0. भगवन्! गर्भ में तथा योनि के समीप अटककर जो जीव मर जाता है, वह किस पापकर्म का फल है ? - उत्तर १0. गौतम! दूसरों के अवगुणवाद बोलने तथा झूठ बोलने से जीव गर्भ में तथा योनि के निकट अटक कर मर जाता है। फिर उसके शरीर को शस्त्रादि से काट-काटकर बाहर निकाला जाता है।
प्रश्न ११. भगवन्! किसी-किसी मनुष्य के शरीर में अहर्निश जलन (दाह) होती रहती है ? ऐसा दाह ज्वर का रोग किस पापकर्म के फलस्वरूप होता है ?
उत्तर ११. जो मनुष्य अपने आश्रित घोड़े, बैल आदि पशुओं तथा तोते आदि पालतू पक्षियों को भूखे-प्यासे रखकर तड़पाता है तथा उनसे उनके बलबूते से अधिक काम लेता है, एवं उन पर निर्दयतापूर्वक अधिक बोझ लादता है; उक्त पापकर्म के फलस्वरूप वह मनुष्य दाहज्वर से पीड़ित रहता है।
प्रश्न १२. भगवन्! किसी-किसी मनुष्य के पेट में पथरी हो जाती है, वह किस पापकर्म के कारण होती है?
उत्तर १२. गौतम! जो अपनी माँ, बहन, मौसी आदि के साथ गुप्त रूप से व्यभिचार करता है, उसके इस पापकर्म के फलस्वरूप पेट में पथरी हो जाती है, जिससे वह जिंदगी भर दुःख पाता है।
१. (क) लघु गौतम पृच्छा (भाषान्तर) ।
(ख) श्री गौतम पृच्छा (पद्यानुवाद) से पृ. २, ३ तथा ५, ६, ७ (ग) कर्मविपाक लेख (जिनवाणी कर्मसिद्धान्त विशेषांक में प्रकाशित) से पृ. ११९-१२०
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