________________
कर्म - महावृक्ष के सामान्य और विशेष फल ? ३७५
उत्तर ९. जिसने श्रद्धाभक्तिपूर्वक अत्यन्त धर्माराधना की हो, गौतम ! वह मनुष्य उस पुण्य के फलस्वरूप सभी को वल्लभ लगता है।
प्रश्न १०. भगवन्! मनुष्य किस पुण्यकर्म के कारण सुर, असुर, देव, दानव, इन्द्र और नरेन्द्र आदि द्वारा पूजनीय हो जाता है।
उत्तर १०. गौतम ! जिसने मन-वचन-काया से शुद्ध भावनापूर्वक अखण्ड ब्रह्मचर्य का पालन किया हो, वह मनुष्य इन्द्र-नरेन्द्र आदि के द्वारा पूजनीय हो जाता है। प्रश्न ११. भगवन्! मनुष्य को अनायास ही सुख-शान्तिदायिनी लक्ष्मी की प्राप्ति किस पुण्य से होती है ?
उत्तर ११. गौतम ! जिसने गुप्तदान दिया हो, उसे अनायास ही सुखशान्तिदायिनी लक्ष्मी प्राप्त होती है।
प्रश्न १२. भगवन्! मनुष्य सर्वमान्य किस पुण्य के कारण होता है ?
उत्तर १२. गौतम ! परहित के कार्य करने से मनुष्य सर्वमान्य - सर्वप्रिय हो जाता
प्रश्न १३. भगवन्! मनुष्य का जन्म किस पुण्यकर्म से प्राप्त होता है ?
उत्तरं १३. गौतम! जो जीव प्रकृति से भद्रिक हो, प्रकृति से विनीत हो, दयाभाव से युक्त हो तथा मात्सर्यभाव से रहित हो, उसे उक्त पुण्य के फलस्वरूप मनुष्यजन्म प्राप्त होता है।
ये ही कुछ पृच्छा सूत्र हैं, जो जीव के द्वारा पुण्य-पाप कर्म के विशेष फल की प्राप्ति के सूचक हैं। कर्मरूपी महावृक्ष के अनन्त सामान्य- विशेष फलों की यहाँ झाँकी दी गई है; जो समस्त मानव जाति को यथार्थ बोध देने के लिए पर्याप्त है।
१. (क) लघु गौतम पृच्छा (भाषान्तर) (ख) गौतम पृच्छा ( हिन्दी पद्यानुवाद) से
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org